Last Updated: Sunday, May 12, 2013, 21:01

नई दिल्ली : रेलवे में शीर्ष पदों पर नियुक्ति के लिए रिश्वत कांड सामने आने के बाद पांच शीर्ष पदों को पारदर्शी तरीके से भरना नये रेल मंत्री के लिए चुनौतीपूर्ण कार्य होगा।
रेल मंत्री को रिक्त पड़े सदस्य कर्मचारी, सदस्य ट्रैफिक, पश्चिमी रेलवे महाप्रबंधक, दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के महाप्रबंधक और कोलकाता मेट्रो के लिए महाप्रबंधक पदों के लिए योग्य उम्मीदवारों की खोज करनी होगी। गत दो मई को रेलवे बोर्ड सदस्य (कर्मचारी) बनने वाले पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक महेश कुमार को सीबीआई ने कथित तौर पर तत्कालीन रेल मंत्री पवन कुमार बंसल के भांजे विजय सिंगला को रिश्वत देते हुए गिरफ्तार कर लिया था। कुमार कथित रूप से वह रिश्वत स्वयं की नियुक्ति सदस्य इलेक्ट्रिकल के पद पर कराने के लिए दे रहे थे।
सीबीआई ने रेलवे में पद के लिए रिश्वत मामले में कुमार के अलावा नौ अन्य को गिरफ्तार किया है जिसके चलते बंसल को मंत्रिमंडल से छुट्टी हो गई। फेडरेशन आफ रेलवे आफिसर्स एसोसिएशन ने यह दावा करते हुए कैबिनेट सचिव को पत्र लिखा है कि हाल में रेलवे में रिश्वत के लगे आरोप कोई नयी बात नहीं है।
एसोसिएशन ने आरोप लगाया कि मंत्रालय वरिष्ठ पदों पर अपनी पसंद के अधिकारियों की तैनाती करने के लिए अक्सर नियमों से खिलवाड़ करता है या नियमों को तोड़ता मरोड़ता है। रेलवे के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार रेलवे को फिर से पटरी पर लाने के लिए वित्तीय सुधार के साथ प्रशासनिक सुधार समय की जरूरत है।
रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पूछा, ‘गृह जैसे अन्य सरकारी विभागों में सचिव का पद कभी भी खाली नहीं रहता। ऐसा ही रेलवे बोर्ड की नियक्तियों में क्यों नहीं किया जा सकता क्योंकि ये पद भी समान रूप से कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के नियमों से संचालित होते हैं।’ (एजेंसी)
First Published: Sunday, May 12, 2013, 21:01