Last Updated: Wednesday, March 28, 2012, 12:38

नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने प्रतिबंधित संगठन भाकपा (माओवादी) के लिए ठिकाना बनाने की कोशिश के आरोपी शीर्ष नक्सलवादी नेता कोबद गांधी को बुधवार को सबूतों के अभाव में आरोप से मुक्त कर दिया। इस बात की पुष्टि करते हुए उनके वकील रेबेका जॉन ने एक न्यूज चैनल को बताया कि सरकार की ओर से उनके खिलाफ लगाए गए प्रतिबंधों को कोर्ट ने पर्याप्त नहीं माना। उन्होंने कहा कि सरकार को अब अहसास करना चाहिए कि किसी एक विचारधारा के समर्थक व्यक्ति को जेल में नहीं डाला जा सकता है।
दिल्ली की एक अदालत ने कथित तौर पर धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा करने और वेश बदलने के आरोप में कोबाद कोबाड गांधी के खिलाफ आज आरोप तय कर दिये, जबकि सख्त आतंकवाद निरोधक कानून के तहत लगाए गए आरोपों से उसे मुक्त कर दिया गया। मुकदमे की सुनवाई के लिए मार्ग प्रशस्त करते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पवन कुमार जैन ने 65 वर्षीय कोबद के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों के तहत आरोप तय कर दिए।
प्रतिबंधित संगठन भाकपा (माओवादी) के खिलाफ आधार बनाने की कोशिश करने के मामले में उस पर धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा और वेश बदलने के आरोप किए गए हैं। अदालत ने हालांकि, उसे गैर कानूनी गतिविधि (निवारण) अधिनियम के तहत लगाए गए आरोपों से मुक्त कर दिया। इन आरोपों के लिए अधिकारियों से उचित मंजूरी प्राप्त नहीं करने को लेकर अदालत ने ऐसा किया। न्यायाधीश ने कहा कि मेरे विचार से कोबद के खिलाफ गैर कानूनी गतिविधि (निवारण) अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला तैयार किया गया लेकिन उचित मंजूरी के अभाव में अधिनियम के तहत लगाए गए इन आरोपों से उसे मुक्त किया जाता है।
माओवादी नेता ने इससे पहले अपने खिलाफ पूरक आरोपपत्र दाखिल करने का विरोध करते हुए कहा था कि पुलिस ने उसके खिलाफ कोई नया साक्ष्य नहीं होने के बावजूद आरोप पत्र दाखिल किया है। दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने अपने मुख्य आरोपपत्र में गैर कानूनी गतिविधि (निवारण) अधिनियम के तहत आरोप लगाने के अलावा उसके खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत भी आरोप लगाए थे। दून स्कूल के छात्र रहे कोबाड के बारे में कहा जाता है कि वह 1981 से भाकपा माले (पीपुल्स वार ग्रुप) का सदस्य था और भाकपा (माओवादी) की केंद्रीय समिति का सदस्य है। वह 2007 में इसके पोलित ब्यूरो के लिए चुना गया था।
(एजेंसी)
First Published: Wednesday, March 28, 2012, 21:03