Last Updated: Sunday, May 26, 2013, 13:36

नई दिल्ली : छत्तीसगढ में शनिवार को माओवादियों द्वारा किया गया राजनीतिक नरसंहार खतरे की घंटी है क्योंकि केन्द्र सरकार ने मानना शुरू कर दिया था कि माओवादी हिंसा की घटनाओं में कमी हो रही है हालांकि संसद की एक समिति ने कहा कि स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। यह हमला केन्द्रीय गृह सचिव आर के सिंह द्वारा संसद की एक समिति के समक्ष व्यक्त इस बयान के ठीक दो महीने बाद हुआ है कि माओवादी हिंसा की स्थिति में काफी परिवर्तन हुआ है।
सिंह ने 28 मार्च 2013 को गृह मंत्रालय से संबंधित संसद की स्थायी समिति के समक्ष कहा था, ‘‘सभी राज्यों में स्थिति में परिवर्तन हुआ है और यह परिवर्तन बेहतरी के लिए हुआ है । छत्तीसगढ और झारखंड में स्थिति एकदम उलट गयी है और अब हम नक्सलवादी समूहों का पीछा कर रहे हैं ।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम ओडिशा में भी नक्सलवादी समूहों का पीछा कर रहे हैं । गढचिरौली में भी स्थिति उलट गयी है और वहां भी हम नक्सलवादियों का पीछा कर रहे हैं । वास्तव में ये आंकडे दर्शाते हैं कि जहां तक वामपंथी उग्रवाद का संबंध है, स्थिति एकदम बदल गयी है ।’’ भाजपा नेता एम वेंकैया नायडू की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने हालांकि गृह सचिव की बात का समर्थन नहीं किया । संसद में पेश समिति की रपट में कहा गया, ‘‘यद्यपि गृह सचिव का मानना है कि स्थिति में सुधार हुआ है, तथापि समिति महसूस करती है कि स्थिति में कोई सुधार नहीं दिखायी दे रहा है ।’’
समिति ने कहा कि वामपंथी उग्रवाद भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बडा खतरा है । माओवादी हमारे देश के लोकतांत्रिक ताने बाने को सीधी चुनौती दे रहे हैं । वामपंथी उग्रवाद हिंसक स्वरूप का है और बंदूक के दम पर राजनीतिक सत्ता हासिल करना उसका पूर्व परिभाषित राजनीतिक लक्ष्य है । इसने कहा कि माओवादी संसदीय लोकतंत्र में विश्वास नहीं करते । काफी लंबे समय से चली आ रही माओवादी हिंसा ने गंभीर और खतरनाक रूप ले लिया है ।
समिति का मानना है कि सुरक्षा संबंधी और विकास संबंधी कार्यकलापों के साथ साथ सेमिनारों, मीडिया आदि जैसे विभिन्न मंचों पर माओवादियों की विचारधारा को भी चुनौती दी जानी चाहिए। समिति ने सिफारिश की कि केन्द्र और राज्य सरकारों को सुनिश्चित करना चाहिए कि विकास के लाभ वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में भी पहुंचे जिससे दिग्भ्रमित किये गये व्यक्तियों को लोकतांत्रिक भारत की मुख्य धारा में वापस लाया जा सके । इन क्षेत्रों के युवाओं को रोजगार के अधिकाधिक अवसर उपलब्ध कराने से स्थिति को सुधारने में काफी सहायता मिलेगी । (एजेंसी)
First Published: Sunday, May 26, 2013, 13:36