Last Updated: Friday, June 14, 2013, 18:35

वाशिंगटन : गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को अमेरिकी वीजा जारी नहीं किए जाने के मुद्दे पर यहां की एक प्रमुख संसदीय समिति में जोरदार बहस हुई। अमेरिकी सरकार के इस फैसले पर जहां एक प्रभावशाली रिपब्लिकन सांसद सवाल उठा रही थी, वहीं दूसरी तरफ दक्षिणपंथी कार्यकर्ता मोदी के वीजा पर प्रतिबंध जारी रखने के पक्ष में बोल रहे थे।
दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं की दलील थी कि भले ही मोदी अब तक किसी भी मामले में दोषी नहीं करार दिए गए हैं, लेकिन यह भी सच है कि वहां उनके शासन के दौरान 2,500 से अधिक लोग मारे गए और ऐसे में इस मामले पर संयुक्त राज्य अमेरिका ने उच्च नैतिक आधार अपना कर बिल्कुल सही किया है।
उन्होंने साथ ही यह भी साफ किया कि अगर नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर निर्वाचित होते हैं, तब हालात बदल जाएंगे। सदन की पर्यवेक्षण एवं सरकार सुधार समिति की राष्ट्रीय सुरक्षा उपसमिति की ओर से धार्मिक स्वतंत्रता पर आयोजित एक बैठक के दौरान अमेरिकी सांसद सिंथिया लुमिस ने यह मुद्दा उठाया था। इस वर्ष मार्च में गुजरात जाकर मोदी से मुलाकात करने वाले तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में लुमिस भी शामिल थी।
उन्होंने कहा कि उन्हें (मोदी) अमेरिकी वीजा जारी करने पर लगी रोक को लेकर मेरी कुछ चिंताएं हैं। यहां एक ऐसा व्यक्ति है, जिसका प्रांत लोगों को नौकरी देने और उनके परिवार के कल्याण में नाटकीय रूप से प्रगति कर रहा है। गुजरात में ही फोर्ड मोटर कंपनी की भीमकाय निर्माण इकाई चल रही है। गुजरात में ही टाटा की इकाई भी है, जो यहां बड़ी संख्या में वाहन बना रही है।
लुमिस ने कहा कि वर्ष 2002 में हुए दंगों में बड़ी संख्या में मुस्लिमों की हत्या हुई थी। लेकिन, धार्मिक स्वतंत्रता के घोर उल्लंघन में बदल गए इस मामले में अब उन्हें सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, जबकि मीडिया में आई खबरों में उन पर आरोप लगा था कि कुछ लोगों की नजर में उन्होंने दंगा रोकने के लिए समय रहते उचित कार्रवाई नहीं की। अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग की अध्यक्ष कटरीना लैंटोस स्वेट ने कहा कि अपराध का अनुमान लगाकर इस तरह से दंड देना हमारे अमेरिकी न्यायिक मानकों के अनुरूप नहीं है। लेकिन हम यह सकते हैं कि इस मामले में पर्याप्त शंकाएं और पर्याप्त चिंताएं सामने आ चुकी हैं और अगर आप यह कहती है, तो हम आपको यह यह विशेषाधिकार नहीं दे सकते।
मोदी को वीजा जारी रखने पर रोक लगाने के अमेरिकी सरकार के फैसले का बचाव करते हुए जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय के ‘बर्कले सेंटर फॉर रिलिजन, पीस एंड वर्ल्ड अफेयर्स’ के धार्मिक स्वतंत्रता परियोजना के निदेशक थॉमस फर्र ने कहा कि अगर वह भारत के प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं, तो फिर अमेरिका को इस पर काफी करीब से ध्यान देना होगा।
उन्होंने कहा कि और आपने गुजरात में आर्थिक हितों का जिक्र किया है तो हमें इसकी तुलना करनी होगी। (एजेंसी)
First Published: Friday, June 14, 2013, 18:35