Last Updated: Wednesday, February 29, 2012, 12:30
बेंगलूर : इसरो के पूर्व अध्यक्ष जी. माधवन नायर द्वारा उन कारणों की जांच का आदेश देने के लिए पीएमओ से किए गए अनुरोध पर सरकार को अब भी फैसला करना है, जिसके कारण विवादास्पद एंट्रिक्स-देवास सौदे को रद्द करना पड़ा। प्रधानमंत्री कार्यालय में मंत्री वी. नारायणसामी से जब इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्होंने इसे नहीं देखा है।
उन्होंने वस्तुत: नाखुशी जाहिर करते हुए कहा कि वह (नायर) पत्र लिखते हैं और इसे मीडिया को दे देते हैं। उन्होंने कहा कि मुझे इसका अध्ययन करने दें और इसके बाद हम फैसला करेंगे। हालिया पत्र में नायर ने रविवार को कहा कि उन्होंने अपने खिलाफ आरोपों पर बिंदुवार स्प्ष्टीकरण दिया था। इसमें ‘अनुबंध के तहत कम दंड वाला प्रावधान’ भी शामिल हैं और ‘बचाव की जरूरत को पूरा नहीं किए जाने’ की बात भी शामिल है।
बीके चतुर्वेदी-रोड्डम नरसिंह समिति द्वारा दिसंबर 2009 तक सभी पहलुओं की जांच किए जाने की बात करते हुए नायर ने कहा कि उन्होंने सरकार से दिसंबर 2009 के बाद से क्या हुआ इसकी स्वतंत्र जांच कराई जाए। नायर ने कहा कि मैंने उनसे (पत्र में) यह भी कहा कि हमने (अनुबंध को निरस्त कर) स्वर्णिम अवसर खो दिया। इस बात की जांच करने की आवश्यकता है कि किन वजहों से अनुबंध को रद्द किया गया और उसके पीछे क्या प्रक्रिया और तौर तरीके रहे उसकी जांच कराने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि साथ ही अंतरिक्ष विभाग द्वारा हाल में फाइलों से (अनुबंध को रद्द करने से संबंधित) निपटा गया उसकी जांच कराने की आवश्यकता है। इसमें वह वस्तुत: चाहते हैं कि इसरो अध्यक्ष के राधाकृष्णन द्वारा सौदे को रद्द कराने में निभाई गई भूमिका पर प्रकाश डाला जाए। उन्होंने कहा कि एंट्रिक्स देवास करार ‘इतना बेहतरीन अनुबंध था। यह देश में नई प्रौद्योगिकी लाता। यह (सौदे के तहत उपग्रह) प्रक्षेपित किया जाना था। किस बात ने उन्हें इसे रद्द करने और उसके बाद यह सब नाटकबाजी करने पर मजबूर किया।
(एजेंसी)
First Published: Wednesday, February 29, 2012, 18:00