Last Updated: Saturday, December 1, 2012, 21:25
ज़ी न्यूज ब्यूरो/
एजेंसीनई दिल्ली/ओस्लो : नॉर्वे में बाल शोषण के कथित मामले के तहत गिरफ्तार भारतीय दंपति के मामले में भारत सरकार सावधानीपूर्वक नजर बनाए हुए है।
शनिवार को रिपोर्टों में कहा गया कि जो कुछ दिखाई दे रहा है,मामला उससे कहीं अधिक है। विदेश मंत्रालय जो भारतीय परिवार के अनुरोध के बाद सक्रिय हुआ है, बच्चे की सुरक्षा के लिए विवरण देने में काफी सावधानी बरत रहा है।
समाचार चैनल ‘सीएनएन-आईबीएन’ की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार के सूत्रों ने संकेत दिया है कि मामले में भारतीय दंपति की ओर से भी बुरा बर्ताव करने की संभावना है क्योंकि बीते समय में भी परिवार को नार्वे के अधिकारियों की ओर से मुश्किलों का सामना करना पड़ा था।
रिपोर्ट में कहा गया कि ओस्लो स्थित भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने शुक्रवार को भारतीय दंपति से मुलाकात की थी।
ओस्लो पुलिस विभाग की ओर से जारी बयान के अनुसार डर था कि कार्रवाई से बचने के लिए सॉफ्टवेयर पेशेवर चंद्रशेखर वल्लभानेणि और भारतीय दूतावास में कार्यरत उनकी पत्नी अनुपमा भारत वापस भाग जाएंगे। पुलिस ने कहा कि इस मामले पर फैसला तीन दिसंबर को ओस्लो जिला अदालत में होगा।
चंद्रशेखर के भतीजे वी सैलेन्द्र का कहना है कि दंपति के सात वर्षीय बेटे ने स्कूल बस में पैंट में पेशाब कर दिया था। इस बारे में उसके पिता को सूचित करने पर उन्होंने बच्चे को धमकाया कि अगर वह दोबारा ऐसा करेगा तो उसे भारत वापस भेज दिया जाएगा ।
नई दिल्ली में आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक,विदेश मंत्रालय इस मामले पर पिछले आठ माह से काम कर रहा है। दंपत्ति के बच्चे को अधिकारी पहले भी ले गए थे लेकिन कोशिशों बाद मई में उन्हें उनका बच्चा वापस मिला था।
दंपत्ति के खिलाफ लगाए गए आरोप आपराधिक प्रवृति के हैं। पुलिस विभाग ने कहा, ‘इस दंपति पर अपने बच्चे को धमकाने, हिंसा करने और दंड संहिता की धारा-219 के तहत लगातार अन्य गलत बर्तावों के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। अभियोजन पक्ष ने मां के लिए 15 माह और पिता के लिए 18 माह की कैद की सजा की मांग की है। इस मामले में फैसला सोमवार यानि तीन दिसंबर को सुनाया जाएगा।’
अपीली अदालत भी बचाव पक्ष की अपील पर सुनवाई की तैयारी कर रही है। दंपत्ति के अनुरोध पर ओस्लो स्थित भारतीय मिशन ने अनुरोध किया कि उनके काउंसिलर को दंपत्ति से मिलने दिया जाए। अधिकारी ने चंद्रशेखर के बारे में विस्तार से जानकारी दी और कहा कि भारतीय मिशन लगातार उनके वकील से संपर्क बनाए हुए है और वे किसी भी सहायता के लिए तैयार हैं।
सैलेन्द्र के अनुसार, शुरुआत में उनके चाचा को उनके खिलाफ मामला दर्ज होने के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। हैदराबाद में सैलेन्द्र ने कहा,‘वह अपनी पत्नी और बच्चों के साथ जुलाई में हैदराबाद आए थे और अक्तूबर के अंतिम सप्ताह में वे ओस्लो वापस लौटे। तब उन्हें पत्नी सहित अदालत में पेश होने का नोटिस मिला।’ उन्होंने कहा, ‘मेरी चाची भी 23 नवंबर को ओस्लो पहुंची और दोनों संबद्ध अधिकारियों के समक्ष पेश हुए। 28 नवंबर को मेरे चाचा को पड़ोसियों से हमें सूचना मिली कि उन्हें गिरफ्तार कर हिरासत में भेज दिया गया है।’
इस घटना के कुछ समय पहले ही एक अन्य भारतीय दंपति और उनके बच्चों का ऐसा मामला सामने आया था।
तब तीन वर्षीय अभिज्ञान और चार वर्षीय ऐश्वर्या नामक दो बच्चों को नॉर्वे की बाल कल्याण संस्था ने उनके माता पिता अनुरूप और सागरिका भट्टाचार्य से ‘भावनात्मक अलगाव’ होने के आधार पर बीते साल मई माह में अलग कर दिया था।
First Published: Saturday, December 1, 2012, 21:08