Last Updated: Saturday, August 24, 2013, 18:21

नई दिल्ली : सरकारी नौकरियों में मौके कम होने और निजी क्षेत्र का दायरा बढ़ाने की जरूरत बताते हुए सरकार ने शनिवार को ज माना कि निजी क्षेत्र की नौकरियों में अनुसूचित जातियों (एससी) के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं होने से गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्री कुमारी सैलजा ने लोकसभा में संविधान (अनुसूचित जातियां : आदेश : संशोधन) विधेयक 2012पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए सदस्यों की इस चिंता से सहमति जतायी कि निजी क्षेत्र में नौकरियों में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं होने से गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
सैलजा ने बताया कि निजी क्षेत्र को इस संबंध में कई बार चिट्ठियां लिखी गयी हैं और सरकार चाहती है कि निजी क्षेत्र किसी न किसी तरह से खुद इस बात को महसूस करें कि यह कितना गंभीर मुद्दा है।
उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र ने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया तो इसके काफी दुष्परिणाम हो सकते हैं। सैलजा के जवाब के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया।
उन्होंने अनुसूचित जातियों को सूची में शामिल किए जाने और कुछ जातियों को निकाले जाने की प्रक्रिया को समयबद्ध तरीके से पूरा किए जाने की भाजपा के निशिकांत दुबे की मांग के संबंध में कहा कि यह एक पेचीदा मुद्दा है जिसे निपटाने के लिए कोई समय सीमा नहीं दी जा सकती। हालांकि मंत्री के आश्वासन के बाद दुबे ने इस संबंध में पेश किए अपने संशोधन को वापस ले लिया।
इससे पहले चर्चा की शुरुआत करते हुए भाजपा के वीरेन्द्र कश्यप ने कहा कि कौन अनुसूचित जाति का है और कौन नहीं, इस मुद्दे के समाधान के लिए एक नीति बनानी चाहिए। उन्होंने न्यायपालिका में भी इस जाति के लोगों के लिए आरक्षण का प्रावधान किए जाने की अपील की।
कांग्रेस के पी. एल. पूनिया ने कहा कि निजी क्षेत्र में नौकरियों के अधिक अवसर हैं और इसीलिए अनुसूचित जातियों को इस क्षेत्र में आरक्षण मिलना चाहिए।
इस विधेयक को सामाजिक न्याय मंत्री कुमारी सैलजा ने पांच अगस्त को पेश किया था। सपा के शैलेन्द्र कुमार ने कहा कि एससी या एसटी को सुविधाएं नहीं मिलने के कारण ही वे लोग एससी से एसटी या एसटी से एससी में जाने की मांग करते हैं।
बसपा के बलिराम ने निजी क्षेत्र में आरक्षण के लिए संविधान में संशोधन की जरूरत बतायी। जनता दल यू के भूदेव चौधरी ने कहा कि एससी और एसटी के 80 फीसदी बच्चे अभी भी कुपोषण का शिकार हैं जिसकी वजह से वे विकलांगता और बीमारी से ग्रसित रहते हैं।
तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय और माकपा के मोहन मलिक ने भी निजी क्षेत्र में आरक्षण की जरूरत बतायी। बीजद के मोहन जेना ने कहा कि परंपरागत उद्योग लुप्त हो रहे हैं और इसके चलते अनु जाति और जनजाति के लोगों को अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
भाकपा के प्रबोध पांडा, नेशनल कांफ्रेंस के एस डी शरीक, आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुसलमीन के असदुद्दीन औवेसी, झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) के अजय कुमार, राजद के रघुवंश प्रसाद सिंह, रालोद के संजय सिंह चौहान, भाजपा के वीरेन्द्र कुमार तथा कांग्रेस के आर ध्रुवनारायण ने भी चर्चा में हिस्सा लिया। (एजेंसी)
First Published: Saturday, August 24, 2013, 18:21