निर्मल बाबा के 'कृपा' का कारोबार गिरा - Zee News हिंदी

निर्मल बाबा के 'कृपा' का कारोबार गिरा

ज़ी न्यूज ब्यूरो

 

नई दिल्‍ली: इन दिनों सुर्खियों में छाए निर्मल बाबा की 'कृपा' को धक्का लगा है।  अखबार 'प्रभात खबर'  की खबर के मुताबिक शुक्रवार को सिर्फ 34 लाख रुपए जमा हुए।

 

इससे पहले इस खाते में प्रतिदिन औसतन 1 करोड़ रुपये जमा किये जा रहे थे। पहले औसतन चार से साढ़े चार हजार लोग प्रतिदिन निर्मल बाबा के खाते में राशि जमा कर रहे थे, लेकिन शुक्रवार शाम पांच बजे तक देश भर के 1800 लोगों ने ही बाबा के आईसीआईसीआई बैंक खाते में राशि जमा की थी।

 

अखबार में छपी खबर के मुताबिक निर्मल बाबे के खाते में चार जनवरी 2012 से 13 अप्रैल 2012 के बीच 123 करोड़ (कुल 1,23,02,43,974) रुपये जमा हुए। इस राशि में से 105.56 करोड़ की निकासी भी हुई। 13 अप्रैल को इस खाते में 17.47 करोड़ रुपए बचे थे।

 

एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने शुक्रवार को कहा कि उनका सालाना टर्न ओवर 235-240 करोड़ रुपये का है और वह पूरी रकम पर इनकम टैक्‍स देते हैं। लेकिन शनिवार को 'प्रभात खबर' ने उनके खातों से जुड़ी जो जानकारी सार्वजनिक की है, उससे बाबा की बात पूरी तरह सच नहीं लगती। इसके मुताबिक निर्मल बाबा के दो खाते हैं।

 

बाबा पुलिस और अदालत के शिकंजे में भी फंस सकते हैं। उनके खिलाफ चार शहरों में शिकायतें दर्ज हो गई हैं और लोग सड़कों पर भी उतर रहे हैं।

 

बाबा को विदेशों से मिले फंडिंग पर भी पूछताछ हो सकती है। यदि उन्‍होंने पैसों को विदेशी खातों में हस्‍तांतरित किया है तो इस बात की भी जांच की जाएगी। रिपोर्ट के अनुसार, आश्‍चर्यजनक तथ्‍य यह है कि निर्मल बाबा उनके पास किसी समस्‍या के निराकरण के लिए पहुंचने वालों लोगों से कहते हैं कि वे अपनी तनख्‍वाह का दस फीसदी भेंट करें। इन खुलासों के बाद बाबा के बैंक खातों में देश भर से हुई लेनदेन निगरानी के दायरे में आ गई है।

 

निर्मल बाबा ने इन आरोपों पर कहा कि उन्‍होंने पूरा आयकर चुकाया है। मेरे दावे विज्ञान की कसौटी पर खरे हैं। मेरा 235 करोड़ रुपये का सालाना टर्नओवर है। पूरी कमाई पर इनकम टैक्‍स चुकाया है। उनहोंने कहा कि कभी चमत्‍कार का दावा नहीं किया। वे अंधविश्‍वास नहीं फैला रहे बल्कि अंधविश्‍वास को तोड़ रहे हैं। न ही किसी को टोना-टोटका बताते हैं।

First Published: Sunday, April 15, 2012, 09:56

comments powered by Disqus