Last Updated: Friday, February 8, 2013, 19:58

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि औद्योगिक घरानों के लिए संपर्क का काम करने वाली नीरा राडिया की रिकार्ड की गई टेलीफोन वार्ता के लिप्यांतरण की स्वतंत्र जांच एजेन्सी द्वारा बारीकी से जांच की आवश्यकता है। न्यायालय ने केन्द्रीय जांच ब्यूरो से उन अधिकारियों के बारे में जानना चाहा है जो यह काम कर सकते हैं।
न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय की खंडपीठ ने कहा कि टेलीफोन रिकार्डिंग के लिप्यांतरण पर उन्होंने गौर किया है जो निजी और हानिरहित नहीं है और इसमें आपराधिक तत्वों का पता लगाने के लिए इसकी बारीकी से जांच की आवश्यकता है।
न्यायाधीशों ने कहा, ‘हमने कुछ वार्तालाप पर गौर किया है। कुछ तो हानि रहित हैं लेकिन शेष नहीं है। इसकी बारीकी से जांच की आवश्यकता है। हम ऐसा नहीं कर सकते हैं। हम अगर सरसरी निगाह डालें तो भी घंटों लग जाएंगे।’
न्यायालय ने जांच एजेन्सी से पूछा है कि इन दस्तावेजों की छानबीन के लिए कौन से अधिकारी उपलब्ध हैं। लेकिन इस सवाल का जवाब देने के लिए जांच एजेन्सी की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल हरेन रावल न्यायालय में मौजूद नहीं थे।
न्यायालय ने इस स्थिति को देखते हुये सुनवाई 13 फरवरी के लिये स्थगित कर दी। न्यायालय ने रावल के उपस्थित नहीं रहने पर अप्रसन्नता भी व्यक्त की। रावल उच्च न्यायालय में एक अन्य मामले में पेश होने के लिये लखनउ गये हुये हैं।
न्यायाधीशों ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि यह जांच बातचीत के आपराधिक तत्व और न्याय के हित से जुड़े बिन्दुओं तक ही सीमित रहेगी।
रतन टाटा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे का कहना था कि व्यक्तिगत स्वरूप की बातचीत को जांच के दायरे से अलग रखा जाना चाहिए। इस पर न्यायाधीशों ने कहा,‘यह सिर्फ आपराधिक तत्व और न्याय के हित से जुड़े बिन्दुओं तक ही सीमित रहनी चाहिए।’ (एजेंसी)
First Published: Friday, February 8, 2013, 19:58