नेपाल में कोई भारत विरोधी भावना नहीं: देउबा

नेपाल में कोई भारत विरोधी भावना नहीं: देउबा

नई दिल्ली : नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने वामपंथी उग्रवादियों से निपटने के लिए दोनों देशों के संयुक्त अभियान की संभावना को खारिज करते हुए गुरुवार कहा कि भारत खुद माओवादियों से निपटने में सक्षम है।

उन्होंने नेपाल में किसी तरह की भारत विरोधी भावनाओं की धारणा को खारिज करते हुए कहा कि भारत हरसंभव तरीके से नेपाल का समर्थन कर रहा है और दोनों देश खुली सीमा साझा करते हैं।

देउबा ने कहा कि मैं भारत के प्रति आभारी हूं कि वे हरसंभव तरीके से हमारी मदद कर रहे हैं। भारत नेपाल का समर्थन कर रहा है। भारतीय प्रधानमंत्री ने आगामी संविधान सभा के चुनावों के लिए हमें हर तरह की साजो-सामान संबंधी मदद का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि भारत के साथ हमारी खुली सीमाएं हैं। हिंदू यहां धार्मिक स्थलों का दौरा करने आते हैं और विद्यार्थी अध्ययन के लिए यहां आते हैं। नेपाल में सभी हिंदी फिल्में पूरे उत्साह के साथ देखी जाती हैं। इन सबके साथ मुझे नहीं लगता कि नेपाल में कोई भारत विरोधी भावना है।

अपनी पत्नी आरजू देउबा और नेपाली कांग्रेस के नेता बिमलेंद निधि के साथ देउबा भारत की छह दिन की यात्रा पर हैं। इस दौरान वे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा के लिए भारत के शीर्ष नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं। माओवादियों के खिलाफ किसी तरह की संयुक्त कार्रवाई के सवाल पर उन्होंने कहा कि भारत माओवादियों से निपटने में सक्षम है। इस तरह की कोई बातचीत नहीं हुई। आगामी संविधान सभा के चुनावों में भारत की भूमिका के बारे में देउबा ने कहा कि नेपाल के मुख्य चुनाव आयुक्त जल्दी इस बारे में बातचीत के लिए भारत आएंगे।

उन्होंने कहा कि हम संविधान सभा के चुनावों के लिए भारत, संयुक्त राष्ट्र और अन्य देशों से स्वतंत्र पर्यवेक्षकों को भी आमंत्रित करेंगे। क्या भारत और नेपाल में गतिविधियां संचालित कर रहे माओवादियों को चीन का समर्थन है, इस प्रश्न के उत्तर में देउबा ने कहा कि जहां तक मुझे पता है, चीनियों ने काफी समय पहले माओत्से तुंग को छोड़ दिया है। आप थ्यानमेन स्क्वायर पर जाएं, कोई अब माओवाद के बारे में बातचीत नहीं करता। मुझे लगता है कि चीन भी नेपाल में स्थिरता चाहता है। (एजेंसी)

First Published: Thursday, June 13, 2013, 19:04

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