Last Updated: Sunday, December 9, 2012, 11:48
पटना : गरीब और मेधावी बच्चों को आईआईटी जेईई परीक्षा की तैयारी कराने वाले पटना के ‘सुपर 30’ में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के साथ-साथ नैतिकता का भी पाठ पढ़ाया जाता है। स्वयं गरीब पृष्ठभूमि से आने वाले गणितज्ञ आनंद कुमार अपना सपना पूरा नहीं कर पाए लेकिन वह जानते हैं कि बच्चों का मनोबल कितना मजबूत करना है। गरीबी के कारण मेरिट प्रभावित न हो सके इसके लिए वह सुपर-30 में पढ़ने वाले बच्चों को मानसिक और नैतिक रूप से मजबूत बनाने का प्रयास करते हैं।
सुपर-30 से निकले होनहार और अभी आईएसएम धनबाद में पढ़ रहे गोरखपुर के नर्वदेश्वर कुमार कहते हैं कि आनंद सर की दी हुई सीख हमें आगे का रास्ता भटकने से भी रोकती है। आनंद कुमार ने बताया कि उनका मकसद न सिर्फ अच्छे इंजीनियर तैयार करना है बल्कि चरित्रवान नागरिक भी बनाना है। मानसिक रुप से मजबूत होने पर बच्चे आईआईटी में भी मनोबल ऊंचा कर पढ़ सकेंगे। गरीबी के बावजूद मेधा शक्ति में कितनी ताकत होती है कि यह प्रदर्शित करने के लिए आनंद ने कक्षा के लिए भोलू और रिक्की नामक दो काल्पनिक पात्रों को बनाया है।
रिक्की मेधावी है लेकिन अमीर है। भोलू गरीब है लेकिन मेधावी होते हुए अपने लक्ष्य के प्रति कटिबद्ध है और एक ही सवाल के कई तरीके से हल निकालने में वह रिक्की को मात दे देता है। भोलू को इस प्रकार तैयार किया गया है कि सुपर-30 के बच्चों को लगे वह उनके बीच का एक पात्र है। भोलू मानसिक रूप से मजबूत है।
आनंद अपने यहां सुपर-30 की कोचिंग में 30 बच्चों को एक साल के लिए मुफ्त छात्रावास और खाने की सुविधा प्रदान करते हैं। एक समान माहौल सबके लिए है। हिंदू-मुस्लिम का कोई भेदभाव नहीं है। बेगूसराय से आए सफी को सुपर-30 के माहौल ने इतना प्रभावित किया है कि वह ईद के दौरान अपने घर भी नहीं गया। आनंद पढ़ाई के दौरान सामाजिक पाठ भी पढ़ाते हैं जिसमें वह दहेज भेदभाव और अन्य सामाजिक बुराइयों से बचने की शपथ बच्चों को दिलाते हैं।
लुधियाना से आए चरण सिंह और असम के सिलचर से आए महबूब हसन को अपने सुपर-30 के शिक्षकों के अलावा अन्य सहपाठियों से भी काफी कुछ सीखने को मिला है। धनबाद के वसंत कुमार के अनुसार यहां घर का माहौल है।
आनंद बताते है कि दूर दराज के गांव से अपना सपना लेकर आए बच्चे लक्ष्य को लेकर अधिक समर्पित हैं। वे बाहरी दुनिया पर अधिक ध्यान नहीं देते हैं। ये बच्चे मोबाइल, टेलीविजन और गैजेट की दुनिया में अभी समय खोना नहीं चाहते हैं। अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिलने के कारण सुपर 30 से टोक्यो विश्वविद्यालय के बाद विदेश के कुछ अन्य विश्वविद्यालय भी संपर्क साध रहे हैं। इस प्रकार यहां के बच्चों के लिए नए रास्ते भी खुल रहे हैं। (एजेंसी)
First Published: Sunday, December 9, 2012, 11:48