नौसैनिक प्रकरण: सरकार के टालमटोल रवैये पर सवाल

नौसैनिक प्रकरण: सरकार के टालमटोल रवैये पर सवाल

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने दो भारतीय मछुआरों की गोली मार कर हत्या करने के आरोपी दो इतालवी नौसैनिकों के मुकदमे की सुनवाई के लिए विशेष अदालत गठित करने को लेकर सरकार के टालमटोल के रवैये पर शुक्रवार को सवाल उठाए।

प्रधान न्यायाधीश अलतमस कबीर, न्यायमूर्ति अनिल आर. दवे और न्यायमूर्ति विक्रमजीत सेन की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने विशेष अदालत गठित करने के शीर्ष अदालत के निर्देश का पालन नहीं करने पर आज आश्चर्य व्यक्त किया। शीर्ष अदालत ने 18 जनवरी को सरकार को देश के प्रधान न्यायाधीश से परामर्श करके इस मुकदमे की सुनवाई के लिये विशेष अदालत गठित करने का निर्देश दिया था।

प्रधान न्यायाधीश ने इस मामले की सुनवाई के दौरान सवाल किया कि सरकार क्यों टालमटोल का रवैया अपना रही है? अदालत गठित करने के लिए किसी ने भी परामर्श का प्रयास नहीं किया है। प्रधान न्यायाधीश ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब न्यायालय को सूचित किया गया कि विशेष अदालत के गठन का प्रस्ताव विचाराधीन है। प्रधान न्यायाधीश ने जानना चाहा, ‘इसके लिये कितना समय लगेगा? यदि अदालत गठित हो जाती तो अब तक मुकदमे की सुनवाई भी पूरी हो सकती थी। इसमें इतनी देरी क्यों है? इसे तो यही फैसला करना है कि वे दोषी हैं या नहीं। न्यायालय ने इन दो इतालवी नौसैनिकों को इटली में हो रहे आम चुनावों में मत देने के लिये अपने देश जाने की अनुमति हेतु दायर अर्जी पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।

शीर्ष अदलात ने 18 जनवरी को इटली सरकार और आरोपी इतालवी नौसैनिकों की इस दलील को अस्वीकार कर दिया था कि यह मामला भारतीय अदालतों के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है और इसकी सुनवाई इटली की अदलात में ही होनी चाहिए। न्ययालय ने निर्देश दिया था कि अभियुक्तों को दिल्ली स्थानांतरित किया जाये और इस मुकदमे की सुनवाई के लिए केंद्र द्वारा विशेष अदालत गठित किये जाने तक ये दोनों शीर्ष अदालत की हिरासत में रहेंगे। (एजेंसी)

First Published: Friday, February 22, 2013, 21:41

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