Last Updated: Saturday, November 17, 2012, 15:22
नई दिल्ली: सरकार ने स्पष्ट किया कि न्यायिक मानक और जवाबदेही विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में लाया जायेगा। सरकार ने संकेत दिया है कि खुली अदालत में किसी भी सांविधानिक संस्था के प्रति मौखिक टिप्पणियां करने से न्यायाधीशों को रोकने संबंधी प्रावधान किसी न किसी रूप में इसमें रहेगा।
विधि एवं न्याय मंत्री अश्विनी कुमार ने न्यायाधीशों को मौखिक टिप्पणियां करने से रोकने संबंधी प्रावधान के बारे में पूछे जाने पर कहा कि न्यायिक मानक और जवाबदेही विधेयक में यह किसी न किसी रूप में रहेगा। उन्होंने इस बारे में विस्तार से कुछ भी बताने की बजाये इतना ही कहा कि संसद के आगामी सत्र में इसे लाया जायेगा।
न्यायिक मानक और जवाबदेही विधेयक इस साल संसद के बजट सत्र के दौरान लोकसभा में भारी हंगामे के बीच ही पारित हो गया था।
लेकिन प्रमुख न्यायविदों और उच्च न्यायपालिका के कड़े प्रतिवाद के मद्देनजर सरकार विधेयक में इससे जुड़े प्रावधान पर गौर करने के लिए तैयार हो गयी थी। सरकार ने संसद के मानसून सूत्र में इस विधेयक को राज्य सभा में पेश नहीं करने का भी निश्चय किया था। विपक्ष भी विधेयक के इस प्रावधान में संशोधन की मांग कर रहा था।
इस विधेयक में नागरिकों को भ्रष्ट न्यायाधीश के खिलाफ शिकायत करने की सुविधा प्रदान की गयी है लेकिन खुली अदालत में न्यायाधीशों द्वारा की जाने वाली टिप्पणियों पर प्रतिबंध लगाने के प्रावधान को लेकर सरकार की आलोचना भी हो रही थी। (एजेंसी)
First Published: Saturday, November 17, 2012, 15:22