Last Updated: Wednesday, January 9, 2013, 12:28
ज़ी न्यूज ब्यूरो
नई दिलली : सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश अशोक कुमार गांगुली ने अपने एक बयान में स्वीकार किया है कि देश की न्यायपालिका ने कभी भी महिलाओं के सम्मान एवं गरिमा को पर्याप्त तवज्जो नहीं दी है।
जस्टिस गांगुली जो सुप्रीम कोर्ट में फरवरी 2012 तक रहे, ने यह विचार व्यक्त किया कि जब भी महिलाओं की सुरक्षा की बात आती है, न्यायपालिका संविधान का अनुसरण नहीं करती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जजों को इस तरह के मसलों पर संवेदनशील होना चाहिए।
गांगुली ने दुष्कर्म मामलों की सुनवाई में देरी किए जाने की आलोचना की। उन्होंने टीवी चैनल एनडीटीवी के साथ बातचीत में कहा कि संविधान में एक बराबर दर्जा और एक समान अवसर की बात है। मैं यह कहना चाहता हूं कि हमने कभी भी महिलाओं को गरिमा एवं सम्मान के लिहाज से व्यवहार नहीं किया है।
उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि कुछ रेप केसों को 10-15 सालों तक खींचा गया और शीर्ष कोर्ट के बेहतर प्रयासों के बावजूद ऐसे केसों का तुरंत निपटान नहीं किया जा सका।
गौर हो कि जस्टिस गांगुली फिलहाल पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन हैं और पश्चिम बंगाल नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ जूरिडिशियल साइंस के अतिथि प्रोफेसर हैं। सुप्रीम कोर्ट में अपनी सेवा के दौरान जस्टिस गांगुली ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले समेत कई चर्चित मामलों में अहम निर्णय दिए।
First Published: Wednesday, January 9, 2013, 12:28