Last Updated: Friday, November 25, 2011, 09:20
नई दिल्ली : लोकसभा ने शुक्रवार को कृषि मंत्री शरद पवार पर गुरुवार को हुए हमले की एक स्वर से निंदा की और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृति रोकने के लिए सरकार से कड़ी कार्रवाई करने की मांग की।
सदन ने इसके साथ ही इस घटना के प्रसारण के तरीके को लेकर परोक्ष रूप से मीडिया को भी आड़े हाथ लिया और कई सदस्यों ने मीडिया के लिए मर्यादा की लक्ष्मण रेखा खींचे जाने की पुरजोर मांग की।
एक बार के स्थगन के बाद दोपहर बारह बजे लोकसभा की कार्यवाही शुरू होने पर सदन के नेता प्रणव मुखर्जी ने कल हुई इस घटना का जिक्र किया और कहा कि हमारे अलग अलग विचार हो सकते हैं। लोग कड़े शब्दों में अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं। इसमें कोई नुकसान नहीं है लेकिन शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाने का प्रयास और हिंसा को अपनाना, किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में स्वीकार्य नहीं है।
विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने मुखर्जी की बात से खुद को संबद्ध करते हुए कहा कि इस घटना की जितनी निंदा की जाए वह कम है। उन्होंने साथ ही कहा कि लोकतंत्र में हिंसा का कोई स्थान नहीं है। नीतियों से असहमति हो सकती है और उसे व्यक्त करने का एक तरीका है। उन्होंने कहा कि शरद जी जैसे अनुभवी और शालीन नेता के खिलाफ इस प्रकार की कार्रवाई होना और भी निंदनीय है।
जनता दल यू नेता शरद यादव ने घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि गुरुवार को खुदरा व्यापार क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के संबंध में एक अहम घटना हुई लेकिन इलैक्ट्रोनिक मीडिया ने इस पर कोई चर्चा नहीं की और सारा दिन कृषि मंत्री पर तमाचा मारे जाने की घटना को प्रसारित किया जाता रहा।शरद यादव ने परोक्ष रूप से मीडिया की आलोचना करते हुए कहा कि घटना का इस प्रकार का प्रसारण किसी को लालकिले पर खड़ा करके अपमानित करने जैसा है। उन्होंने कहा कि संस्थाओं और लोकतंत्र की मर्यादा की रेखा खींची जाए। उन्होंने कहा कि सरकार मर्यादा तय करे वरना लोकतंत्र नहीं बचेगा।
मार्क्सवादी बासुदेव आचार्य ने कहा कि लोगों को विरोध करने का अधिकार है लेकिन इसके लिए हिंसक रास्ता नहीं अपनाया जाना चाहिए। भाकपा के गुरूदास दासगुप्ता ने कहा कि लोकतंत्र में विरोध का अधिकार है लेकिन विरोध का यह तरीका सही नहीं है। संसद को विरोध के इस तरीके की निंदा करनी चाहिए। उन्होंने साथ ही अन्ना हजारे की कथित टिप्पणी को भी गलत बताया और घटना को बेवजह तव्वजो देने के लिए मीडिया की भी आलोचना की।
द्रमुक के टी के एस ईलानगोवन ने मीडिया को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि उसे राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने वालों को महिमांडित नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मीडिया ऐसे ‘छद्म नायकों’ को बढ़ावा नहीं दे।
समाजवादी पार्टी के रेवती रमन सिंह ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं हो इसके लिए सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने साथ ही गुरुवार को गांधीवादी नेता अन्ना हजारे द्वारा दिए गए विवादास्पद बयान का भी जिक्र किया और उस पर सवाल उठाया।
तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने पवार पर हमला करने वाले व्यक्ति के खिलाफ कठोर कार्रवाई किए जाने की वकालत की।
राकांपा के प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि इस प्रकार की घटना लोकतंत्र के भविष्य के उपर सवाल पैदा करती है। उन्होंने कहा कि आज ऐसा गलत माहौल बन रहा है कि कोई भी व्यक्ति राजनेताओं पर सवाल खड़ा करने के लिए तत्पर हो जाता है।
राजद के रघुवंश प्रसाद सिंह ने इसे एक अमर्यादित घटना बताते हुए कहा कि लोकतंत्र इस तरह के अमर्यादित आचरण की इजाजत नहीं देता। उन्होंने साथ ही सवाल किया कि हमलावर पहले भी इस प्रकार की घटना को अंजाम दे चुका था तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं की गयी।
शिवसेना के अनंत गीते ने कहा कि कुछ समय से राजनेताओं को नीचे गिराने का प्रयास चल रहा है। यह लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है।
बसपा के धनंज्य सिंह, जनता दल एस के एच डी देवगौड़ा , टीआरएस के के चंद्रशेखर राव , बीजू जनता दल के भृतुहरि मेहताब, मुस्लिम लीग के ई अहमद, आल इंडिया मजलिस ए इत्तहादे मुसलमीन के असाउद्दीन औवेसी, आरएसपी के प्रसन्न कुमार मजूमदार, आल इंडिया फारवर्ड ब्लाक के नरहरि महतो , राष्ट्रीय लोकदल के जयंत चौधरी और निर्दलीय पुतुल कुमारी ने भी घटना की कड़ी निंदा की।
(एजेंसी)
First Published: Friday, November 25, 2011, 14:51