Last Updated: Saturday, March 17, 2012, 13:02
मुम्बई : मुम्बई आतंकवादी हमला मामले में चार प्रमुख गवाहों के बयान दर्ज करने के लिए आये आठ सदस्यीय पाकिस्तानी न्यायिक आयोग ने जांच अधिकारी और उन दो चिकित्सकों के बयान दर्ज किये जिन्होंने पीड़ितों का पोस्टमार्टम किया था।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एस एस शिंदे के समक्ष आज दूसरे दिन बयान दर्ज करने की कार्यवाही बंद कमरे में हुई। 26 नवम्बर के मुम्बई हमला मामले की सुनवायी में विशेष लोक अभियोजक उज्ज्वल निकम भी इस मौके पर उपस्थित थे। आयोग ने वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक रमेश महाले का बयान दर्ज किया जिन्होंने इस मामले की जांच की थी।
सूत्रों ने बताया कि महाले ने आयोग को बताया कि हमले में एकमात्र जीवित बचे पाकिस्तानी आतंकवादी मोहम्मद अजमल आमिर कसाब को हमले के दौरान गिरगांव चौपाटी पर पुलिस ने धर दबोचा था। महाले ने उन घटनाओं के बारे में भी बताया जिसमें कसाब ने कई लोगों और पुलिसकर्मियों पर गोलीबारी की थी जिसमें कुछ की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे।
महाले ने आयोग को यह भी बताया कि कसाब ने आतंकवादी हमले में अपनी भूमिका के बारे में स्वेच्छा से बताया था तथा उसने यहां मजिस्ट्रेट के समक्ष इकबालिया बयान दिया था। कसाब को मुम्बई की एक अदालत ने मौत की सजा सुनायी थी और उसकी अपील उच्चतम न्यायालय के समक्ष लंबित है।
बाद में आयोग ने प्रक्रिया पूरी करने से पहले उन दो चिकित्सकों के बयान दर्ज किये जिन्होंने मुम्बई आतंकवादी हमले के पीड़ितों और मारे गए नौ आतंकवादियों का पोस्टमार्टम किया था। आयोग ने कल मजिस्ट्रेट आर वी सावंत वाघुले का बयान दर्ज किया था जिन्होंने गिरफ्तारी के बाद कसाब का इकबालिया बयान दर्ज किया था। वाघुले ने आयोग को बताया कि कसाब ने हमले में अपनी भूमिका स्वीकार की थी और कहा था कि वह और नौ अन्य आतंकवादियों को लश्करे तैयबा की ओर से मुम्बई में आतंक फैलाने के लिए भेजा गया था। (एजेंसी)
First Published: Saturday, March 17, 2012, 18:32