Last Updated: Sunday, January 29, 2012, 15:58
मुंबई : मुंबई आतंकवादी हमले में शामिल लोगों के बयानों को दर्ज करने और मामले की जांच के लिए पाकिस्तान का एक न्यायिक आयोग तीन फरवरी को यहां पहुंचेगा।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि अपराध शाखा के अधिकारियों से कहा है कि वे पाकिस्तानी आयोग की यात्रा के दौरान उन्हें सहायता करें। आयोग की यात्रा को बंबई उच्च न्यायालय ने हाल में मंजूरी प्रदान की है।
सूत्रों ने बताया कि आयोग 26/11 मामले के जांच अधिकारी रमेश महाले और जीवित बचे एकमात्र पाकिस्तानी बंदूकधारी अजमल कसाब के स्वीकारोक्ति बयान को दर्ज करने वाले मजिस्ट्रेट आर वी सावंत वाघहुल के वक्तव्य दर्ज करेगा। कसाब का उपचार करने वाले जे जे अस्पताल के कुछ चिकित्सकों का बयान भी दर्ज करवाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि सभी बयान दक्षिणी मुंबई की एस्प्लेनेड अदालत में दर्ज करवाये जायेंगे।
पाकिस्तान न्यायिक आयोग के गठन के लिए गजट अधिसूचना पहले ही जारी कर चुका है और पाकिस्तानी सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले सदस्यों की सूची भी बना दी है।
प्रतिनिधिमंडल में संघीय जांच एजेंसी के विशेष जांच समूह के प्रमुख खालिद कुरैशी और दो मुख्य अभियोजक मुहम्मद अजहर चौधरी एवं चौधरी जुल्फीकार शामिल होंगे।
आयोग में बचाव पक्ष के वकीलों के प्रतिनिधि भी होंगे। इसके अनुसार सात पाकिस्तानी संदिग्धों के पांच वकीलों ने आतंकवाद निरोधक अदालत को सूचित किया है कि वे भारत जाने के लिए तैयार हैं। इन सातों पाकिस्तानी संदिग्धों पर मुंबई हमलों में शामिल होने का आरोप है।
पाकिस्तानी सरकार ने आयोग का गठन आतंकवाद निरोधक अदालत द्वारा दिये गये निर्देश के बाद किया है। आयोग सात पाकिस्तानी संदिग्धों के खिलाफ मुकदमे की सुनवाई कर रहा है। जिन लोगों के खिलाफ मुकदमा चल रहा है उनमें लश्करे तैयबा का कमांडर जकी उर रहमान लखवी शामिल है। उस पर 2008 में मुंबई पर हुए आतंकवादी हमले का षड्यंत्र रचने और वित्तीय मदद देने का आरोप है। हमले में 166 लोग मारे गये थे।
आयोग में बचाव पक्ष के पांच वकीलों में लखवी के वकील ख्वाजा सुल्तान, रियाज चीमा, असम निब हरीस और फक्रे हयात शामिल हैं। बचाव पक्ष ने पांचों वकीलों के पासपोर्ट और अन्य दस्तावेज अदालत को सौंप दिये हैं।
पिछले साल मार्च में नयी दिल्ली में हुई भारत पाक की सचिव स्तरीय बैठक में भारत ने न्यायिक आयोग की मेजबानी करने की पाकिस्तानी सरकार की पेशकश को स्वीकार कर लिया था। पाकिस्तान ने उस समय कहा था कि उनके देश की न्यायिक प्रक्रिया के अनुसार आयोग को भारत भेजना आवश्यक है।
रावलपिंडी की अदालत में चल रहे मुकदमे की गति बेहद धीमी है तथा भारतीय अधिकारी इस बात को लेकर बिल्कुल आशान्वित नहीं है कि दोषियों को जल्द सजा मिल पाएगी। दिलचस्प है कि 2009 के शुरू में मुकदमा शुरू होने के बाद से अब तक चार न्यायाधीश बदल चुके हैं। मामले की फिलहाल सुनवाई कर रहे शाहिद रफीक पांचवें न्यायाधीश हैं।
First Published: Sunday, January 29, 2012, 21:28