Last Updated: Wednesday, August 7, 2013, 18:31

नई दिल्ली : सरकार ने बुधवार को बताया कि चीन पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाह के विकास के लिए आर्थिक सहायता मुहैया करा रहा है और इसका उपयोग भविष्य में सैन्य संबंधी उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
रक्षा मंत्री एके एंटनी ने आज राज्यसभा को बताया कि सरकार पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाह का विकास चीन के वित्त पोषण से किए जाने और इस बंदरगाह का प्रचालन संबंधी नियंत्रण किसी चीनी कंपनी को सौंपे जाने की खबर से अवगत है। इस बंदरगाह का उपयोग भविष्य में सैन्य संबंधी उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
उनसे पूछा गया था कि क्या सरकार को यह जानकारी है कि पाकिस्तान ने ग्वादर बंदरगाह का प्रचालन चीन को हस्तांतरित करने का निर्णय किया है। इस मुद्दे पर भारत पहले ही चिंता जता चुका है। एंटनी ने हाल ही में कहा था कि पाकिस्तान के आग्रह पर चीन बंदरगाह का विकास कर रहा है। मैं कह सकता हूं कि यह हमारे लिए चिंता का विषय है।
उन्होंने हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की गतिविधियां बढ़ने के बारे में पूछे गए एच के दुआ के प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि चीन ने बंदरगाह, गहन समुद्री खनन, महासागरीय अनुसंधान के साथ साथ समुद्री डकैती रोकने संबंधी अभियानों जैसी विकास परियोजनाओं में भी भारतीय समुद्री क्षेत्र में भाग लिया है। चीनी सैनिको की हालिया घुसपैठ के बारे में सुखेंदु शेखर राय द्वारा पूछे गए प्रश्न के लिखित उत्तर में एंटनी ने कहा कि भारत और चीन के बीच आपसी सहमति से तय की गई कोई वास्तविक नियंत्रण रेखा नहीं है।
उन्होंने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा के संबंध में अलग अलग अवधारणाओं के चलते दोनों पक्ष अपनी अपनी अवधारणाओं तक के क्षेत्र की गश्त करते हैं जिससे अतिक्रमण हो ही जाता है। उन्होंने कहा कि पिछले छह माह में पीएलए के अतिक्रमण स्थापित पैटर्न के अनुसार ही हैं। चीनी सैन्य टुकड़ियों ने हमारे नियंत्रण वाले क्षेत्र में कोई शिविर स्थापित नहीं किए हैं। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, August 7, 2013, 18:31