Last Updated: Monday, November 12, 2012, 00:22

कराची : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को सिंध के अंदरूनी भागों का तूफानी दौरा किया, एक मंदिर की यात्रा की और एक हिंदू पंचायत को संबोधित किया जहां उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के शांतिपूर्ण सह अस्तित्व और क्षेत्र में सुशासन के लिए काम करने की जरूरत है।
नीतीश ने सिंध में एक हिंदू पंचायत में कहा,‘मैं भारत से आपके लिये शांति, प्यार और भाईचारे का संदेश लेकर आया हूं।’ उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए एक दूसरे के यहां आने जाने वाले प्रतिनिधिमंडलों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए।
पाकिस्तान की यात्रा पर आए नीतीश ने प्राचीन स्थल मोहनजोदड़ो का दौरा किया तथा पाकिस्तान एवं भारत के बीच और ज्यादा सहयोग तथा समन्वय पर जोर दिया।
कुमार और उनके प्रतिनिधिमंडल ने सुक्कूर के नजदीक ऐतिहासिक साधो बेलो मंदिर, लरकाना तथा गढ़ी खुदाबख्श के नजदीक मोहनजोदड़ो में सिंधु सभ्यता के अवशेषों की यात्रा की जो लरकाना में भुट्टो परिवार का पैतृक घर है।
नीतीश पांच हजार साल पुराने मोहनजोदड़ो की यात्रा के बाद बेहद प्रसन्नचित्त नजर आए और कहा कि इसने एक बार फिर से इस मान्यता को साबित कर दिया है कि पाकिस्तान और भारत कई समान मूल्यों और संस्कृतियों को साझा करते हैं और उन्हें क्षेत्र में एक साथ मिलकर काम करने की जरूरत है।
कुमार ने कहा,‘दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंध हमारे इतिहास के लिए स्थायी और केंद्रीय हैं। हमें शांतिपूर्ण सह अस्तित्व के साथ रहने और क्षेत्र में सुशासन के लिए काम करने की जरूरत है।’
पंचायत को संबोधित करते हुए नीतीश ने कहा कि भारत और पाकिस्तान में कई साझा मूल्य हैं और यदि संवाद का आदान प्रदान जारी रहेगा तो यह दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधार सकता है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत और पाकिस्तान में आपसी समझ के वातावरण, भाईचारे और शांति को बढ़ावा दिये जाने की जरूरत है जो क्षेत्र के प्रगति, समृद्धि और विकास के लिये समय की जरूरत है।
कुमार ने ऐतिहासिक साधो बेला मंदिर में पूजा अर्चना की।
उन्होंने कहा कि साधो बेला मंदिर पाकिस्तान और भारत दोनों ही देशों में हिंदुओं का पवित्र स्थल माना जाता है और सभी के लिये आशा का प्रतीक है। सुक्कूर में हिंदू पंचायत के महासचिव ने प्रतिनिधिमंडल को बताया कि हाल ही में आयी बाढ़ के बाद इस मंदिर की सफाई के लिये काफी मेहनत करनी पड़ी जहां बड़ी संख्या में सांप भी थे।
कुमार ने मंदिर के कला और स्थापत्य में बहुत रुचि दिखाई और धार्मिक नेताओं ने उन्हें बताया कि यह मंदिर 1823 में बना था। (एजेंसी)
First Published: Monday, November 12, 2012, 00:22