पाक: सरबजीत की हालत बेहद नाजुक, बचने की संभावना क्षीण

पाक: सरबजीत की हालत बेहद नाजुक, बचने की संभावना क्षीण

पाक: सरबजीत की हालत बेहद नाजुक, बचने की संभावना क्षीणज़ी मीडिया ब्‍यूरो/एजेंसी

लाहौर/नई दिल्‍ली: पाकिस्तानी डॉक्टरों ने कहा कि कोमा में चले गए भारतीय कैदी सरबजीत सिंह की हालत में कोई सुधार नहीं है और उसके बचने की संभावना बिल्कुल क्षीण है। दूसरी ओर भारत से यहां आए परिवार वालों ने उसे बेहतर इलाज के लिए भारत भेजने की मांग की है।

सूत्रों के अनुसार, डॉक्टरों का कहना है कि सरबजीत की हालत में सुधार के कोई संकेत नजर नहीं आ रहे हैं। उसे दो दिन पहले सिर में गंभीर चोट लगने के बाद लाहौर के जिन्ना अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डाक्टरों का मानना है कि 49 वर्षीय सरबजीत के बचने की संभावना बिल्कुल क्षीण है क्योंकि उसके सिर के अधिकांश हिस्से में जख्म हैं जिससे वह बिल्कुल बेहोश (कोमा में) है।

भारत से यहां पहुंचने के बाद सरबजीत की बहन दलबीर कौर, पत्नी सुखप्रीत कौर और बेटियों स्वप्नदीप एवं पूनम अस्पताल में उसे देखने पहुंचीं। सरकार संचालित जिन्ना अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि सरबजीत की बहन, पत्‍नी और दोनों बेटियों को आईसीयू की खिड़की के माध्यम से मरीज को देखने की इजाजत दी गई थी। परिवार के लोगों को मरीज के निकट नहीं जाने दिया गया क्योंकि लोगों के साथ संपर्क में आना मरीज की सेहत के लिए अच्छा नहीं है। सरबजीत की बहन दलबीर कौर ने कहा कि सरबजीत सिंह के चेहरे पर सूजन है, उसे सरिया से पीटा गया है। वह बेहोश है, उसकी हालत बहुत गंभीर है। सरबजीत की पत्नी सुखप्रीत ने पाकिस्तानी अधिकारियों से अपील की है कि उनके पति को बेहतर इलाज के लिए भारत भेजा जाए।

भारतीय उच्चायोग के अधिकारी सरबजीत को देखने आज दूसरी बार अस्पताल गए। पाकिस्तानी प्रशासन ने प्रारंभिक इनकार के बाद भारतीय राजनयिकों को सरबजीत को देखने जाने की अनुमति दे दी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि अधिकारी सरबजीत को देखने लाहौर के अस्पताल गए। उसकी हालत वैसी ही बनी हुई है। सूत्रों ने बताया कि शुक्रवार को सरबजीत पर उसकी बैरक में कम से कम छह कैदियों ने हमला किया। यह बैरक कोट लखपत जेल के सबसे सुरक्षित स्थानों में शामिल है। उसके सिर पर ईंट से वार किया गया। उसके चेहरे, गर्दन और धड़ पर ब्लेड तथा घी के टीन के टुकड़ों से हमला किया गया। सूत्रों ने बताया कि डॉक्टरों को सरबजीत के सिर में तीन सेंटीमीटर से बड़ा खून का थक्का नजर आया। यह इस बात का संकेत है कि मरीज को सर्जरी की जरूरत है। अन्य सूत्रों के अनुसार डॉक्टरों का कहना है कि ग्लासगो कोमा स्केल (जीसीएस) पर सरबजीत की स्थिति पांच मापी गई है। यह स्केल व्यक्ति की केन्द्रीय तंत्रिका प्रणाली को पहुंचे नुकसान के स्तर को बताता है। जीसीएस पर सबसे कम स्तर तीन होता है और सबसे ज्यादा स्तर 15 होता है।

सूत्रों ने बताया कि जीसीएस सिर में गंभीर चोट लगने के बाद चेतना के स्तर को बताता है और सरबजीत के मामले में यह बता रहा है कि वह गहन बेहोशी की हालत में है। अधिकारियों की ओर से गठित मेडिकल बोर्ड के लिए सरबजीत का इलाज गंभीर न्यूरोसर्जिकल चुनौती है। मेडिकल बोर्ड ने आज सरबजीत की जांच करने के बाद कहा कि अभी इस स्थिति में मरीज की सर्जरी करना संभव नहीं है। मेडिकल बोर्ड में स्नात्कोत्तर चिकित्सा संस्थान के प्राचार्य और न्यूरोसर्जन अंजुम हबीब वोहरा, जिन्ना अस्पताल के न्यूरो विभाग के प्रमुख जफर चौधरी और किंग एडवर्ड मेडिकल यूनिवर्सिटी के न्यूरो-फिजिशियन नईम कसूरी हैं। सुरक्षा कारणों की वजह से जिन्ना अस्पताल में सरबजीत के लिए अलग गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) की व्यवस्था की गई है। लोगों के लिए उस क्षेत्र में जाने से मनाही है और भारी संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं।

भारत ने अपने अधिकारियों को सरबजीत को देखने अस्पताल में जाने देने के लिए आज नियमित राजनयिक पहुंच की मांग की क्योंकि पाकिस्तानी प्रशासन ने उसे देखने जाने पर रोक लगा दी थी। नई दिल्ली में आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि भारत यह भी मांग कर रहा है कि भारत-पाकिस्तान न्यायिक समिति के भारतीय सदस्यों को सरबजीत को देखने के लिए अस्पताल जाने देने की अनुमति दी जाए। इस बीच सरबजीत सिंह पर हमले के दो मुख्य आरोपियों ने जांच अधिकारियों को बताया कि उन्होंने लाहौर में वर्षों पहले हुए विस्फोटों का बदला लेने के लिए सरबजीत को जान से मारने की योजना बनाई थी।

पुलिस उप महानिरीक्षक (कारागार) मलिक मुबशिर की प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार दोनों हमलावरों-आमिर आफताब और मुदस्सर ने कहा है कि वे सरबजीत से नफरत करते थे क्योंकि वह लाहौर में 1990 में हुए बम विस्फोटों का आरोपी है।

First Published: Monday, April 29, 2013, 09:01

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