Last Updated: Friday, August 23, 2013, 17:05
नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने पितृत्व विवाद मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नारायण दत्त तिवारी पर अपने दावे के पक्ष में किसी तरह का सबूत पेश करने पर रोक लगा दी । तिवारी के खिलाफ पितृत्व संबंधी मुकदमा 32 साल के युवक रोहित शेखर ने दायर किया है । मुकदमे में रोहित ने मांग की है कि तिवारी को उनका जैविक पिता घोषित किया जाए ।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी ने एक स्थानीय आयुक्त की रिपोर्ट पर विचार करते हुए यह आदेश दिया । स्थानीय आयुक्त ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि पितृत्व विवाद मामले में तिवारी से कहा गया था कि वह हलफनामे के रूप में अपने दावे के पक्ष में सबूत पेश करें लेकिन मौका दिए जाने के बावजूद उन्होंने कोई सबूत पेश नहीं किया ।
अदालत ने कहा कि बचावकर्ता एक (तिवारी) के सबूत पेश करने के अधिकार पर रोक लगा दी गयी है । आगे की कार्यवाही के लिए 18 सितंबर को मामला सूचीबद्ध किया जाये। पूर्व अतिरिक्त जिला न्यायाधीश एस एम चोपड़ा को उच्च न्यायालय ने इस मामले में स्थानीय आयुक्त नियुक्त किया था । चोपड़ा का काम रोजाना सबूतों और बयानों को दर्ज करना था ।
चोपड़ा ने न्यायाधीश को रिपोर्ट दी थी कि 88 साल के तिवारी ने न तो तय समय के भीतर अपने सबूत दाखिल किए और न ही 21 अगस्त को जिरह के लिए उनके सामने पेश हुए ।
स्थानीय आयुक्त की रिपोर्ट पर विचार करते हुए उच्च न्यायालय ने तिवारी के अपने दावे के पक्ष में सबूत पेश करने के अधिकार पर रोक लगाने का फैसला किया । तिवारी का दावा है कि वह रोहित के जैविक पिता नहीं हैं । (एजेंसी)
First Published: Friday, August 23, 2013, 17:05