Last Updated: Sunday, September 2, 2012, 18:49

इंदौर : कोल ब्लॉक आवंटन मामले में भाजपा पर जनता को गुमराह करने का आरोप मढ़ने के साथ ही ‘लोकतंत्र की मान्य परपंराओं’ की दुहाई देते हुए कांग्रेस ने आज कहा कि देश के प्रमुख विपक्षी दल को प्रधानमंत्री के इस्तीफे की जिद छोड़कर संसद के जारी मानसून सत्र में चर्चा करानी चाहिए।
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने इंदौर प्रेस क्लब में कहा, ‘अगर विपक्ष के हल्ला मचाने भर से प्रधानमंत्री या किसी मुख्यमंत्री को बदल दिया जाए, तो क्या इस देश में लोकतंत्र चल सकता है। हमारी भाजपा से अपील है कि वह प्रधानमंत्री के इस्तीफे की अपनी जिद छोड़े और संवैधानिक प्रजातंत्र की मान्य परपंराओं के मुताबिक सदन में चर्चा कराये।’ उन्होंने कहा, ‘सीबीआई कोल ब्लॉक आवंटन मामले की जांच कर रही है और सच्चाई सबके सामने आ जाएगी। लेकिन भाजपा इस मामले में लोगों को गुमराह करके सियासी रोटियां सेंकना चाहती है।
दिग्विजय ने दावा किया, ‘केंद्र की यूपीए सरकार वर्ष 2004 के बाद पारदर्शी नीति अपनाकर नीलामी के जरिये कोल ब्लॉक आवंटन करना चाहती थी। लेकिन राजस्थान, झारखंड, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की तत्कालीन राज्य सरकारों ने यह कहते हुए इस नीति का विरोध किया था कि कोल ब्लॉकों की नीलामी से बिजली महंगी हो जाएगी।’ कांग्रेस महासचिव ने नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) विनोद राय को आज भी निशाने पर लिया और आरोप लगाया कि उन्होंने कोल ब्लॉक आवंटन मामले में गोपनीयता की शपथ को भंग किया है।
दिग्विजय ने कहा, ‘जब से राय आए हैं, कैग की रिपोर्ट लीक होने लगी है। उनके आने से पहले सरकार से टकराव के मुद्दों को कैग इस तरह सार्वजनिक नहीं करता था।’ उन्होंने कहा, ‘मुझे राय के भीतर पूर्व कैग टीएन चतुर्वेदी जैसी राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं नजर आती हैं। यह मेरा शक है।’ दिग्विजय ने कहा कि कैग की रिपोर्ट में कोल ब्लॉक आवंटन से सरकारी खजाने को हुए 1,86,000 करोड़ रुपए के नुकसान का आंकलन काल्पनिक परिस्थितियों पर आधारित लेखा परीक्षण फॉर्मूले के आधार पर किया गया है। उन्होंने कहा, ‘यह कहना सही होगा कि यह आंकलन तथ्यों पर आधारित नहीं है। वैसे भी कैग कोई जांच एजेंसी नहीं, बल्कि एक लेखा परीक्षण इकाई है।’ (एजेंसी)
First Published: Sunday, September 2, 2012, 18:49