Last Updated: Wednesday, September 28, 2011, 03:11
विशेष विमान से : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि स्पेक्ट्रम की कीमत के मुद्दे को मंत्रियों के समूह (जीओएम) के दायरे से बाहर रखने का निर्णय 2006 में तत्कालीन दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन के कहने पर हुआ था.न्यूयॉर्क से स्वदेश लौटते हु
ए पत्रकारों से बातचीत में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि यह सही है कि इसके लिए एक मसौदा तैयार हुआ था. इसमें स्पेक्ट्रम की कीमतें शामिल थी. मारन ने उस समय इसपर आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा था कि स्पेक्ट्रम की कीमत दाल रोटी से जुड़ा है और यह (दूरसंचार) विभाग के कारोबार का अभिन्न हिस्सा है. सिंह ने मारन का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी मामले में जीओएम में बैठे एक बड़े मंत्रियों का समूह इससे जुड़े जटिल और तकनीकी विषयों से प्रभावी ढंग से नहीं निपट सकता है.उन्होंने कहा कि इससे आगे मुझे बताया गया कि 2003 में कैबिनेट के निर्णय में कहा गया है कि स्पेक्ट्रम की कीमत एक ऐसा विषय है जिस पर वित्त मंत्रालय और दूरसंचार मंत्रालय को चर्चा करनी चाहिए. प्रधानमंत्री ने कहा कि इनपर विश्वास करके मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि मंत्री दयानिधि मारन की बात से कुछ खोना नहीं पड़ेगा जो प्रक्रिया की सफलता के लिए जरूरी और अभिन्न है. उन्होंने कहा कि यह सब कुछ 2006 में हुआ.इस समय लाइसेंस उपलब्ध स्पेक्ट्रम से अधिक थे. सरकार की वास्तविक चिंता उस समय यह थी कि हम किस प्रकार से रक्षा मंत्रालय को स्पेक्ट्रम बनाए रखने के लिए तैयार करें और यह कि स्पेक्ट्रम को असैनिक अर्थव्यवस्था के लिए छोड़ दिया जाए.
First Published: Wednesday, September 28, 2011, 08:41