Last Updated: Saturday, August 25, 2012, 21:43
नई दिल्ली : भाकपा ने आज कहा कि प्रधानमंत्री को संसद का सामना करना चाहिए और सरकार को कोयला ब्लाकों के आवंटन के मुद्दे पर देश को हुए नुकसान के लिए अपनी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। पार्टी राष्ट्रीय सचिव डी राजा ने कहा, प्रधानमंत्री को संसद का सामना करना चाहिए, खास कर तब, सत्र चल रहा है। व्यवधान का मतलब यह नहीं है कि वह सदन में नहीं आएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार और प्रधानमंत्री को राष्ट्रीय संसाधन के खनन के कारण देश को हुए नुकसान तथा कारपोरेट जगत को भारी भरकम लाभ पहुंचाने के लिए राजनीतिक, नैतिक और प्रशासनिक जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए।
पूर्व में भाकपा ने कहा था कि वह कोयला ब्लॉक आवंटन के मुद्दे पर अपनी रणनीति प्रधानमंत्री के उस बयान के आधार पर तय करेगी जो संसद में मनमोहन सिंह दे सकते हैं। कैग ने कहा है कि सरकार के कोयला ब्लॉकों का आवंटन करने से निजी पक्षों को 1.86 लाख करोड़ रूपये का लाभ हुआ। इसके बाद भाकपा ने सिंह से स्पष्टीकरण मांगा था।
माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री संसद में बयान देते हैं तो उन्हें यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्यों सरकार ने प्रतिस्पर्धात्मक बोली के जरिये कोयला ब्लाक आवंटन का अपना फैसला कार्यान्वित नहीं किया और क्या वह वर्ष 2005 से 2009 के बीच बिना बोली के ब्लॉक देने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेगी।
उन्होंने कहा, हम आगे क्या तय करेंगे वह स्पष्टीकरण पर निर्भर करेगा। उसके आधार पर ही हम मुद्दा आगे उठाएंगे। संसद में गतिरोध का जिक्र करते हुए येचुरी ने कहा कि इसे दूर करने का एक संभावित तरीका यह है कि प्रधानमंत्री लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेताओं के साथ बात करें और मुख्य विपक्षी दल भाजपा से यह अपील करें कि वह सदन में बयान देंगे और फिर इस मुद्दे पर बहस होगी। उन्होंने कहा कि यह सब समय व्यर्थ किये बिना करना चाहिए और सिंह के मंगलवार को एनएएम सम्मेलन के लिए रवाना होने से पहले समाधान निकाला जाना चाहिए। (एजेंसी)
First Published: Saturday, August 25, 2012, 21:43