Last Updated: Wednesday, September 25, 2013, 08:38

नई दिल्ली : पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वी.के.सिंह ने मंगलवार को अपने बचाव का प्रयास करते हुए दावा किया कि जम्मू एवं कश्मीर के मंत्रियों को सेना के गुप्तकोष से धन उपलब्ध कराया जाता है। उनके इस दावे से राजनीतिक हलके में तूफान उठ गया है। उनके दावे की जांच कराने और लाभ लेने वालों की पहचान करने की मांग की गई है।
कांग्रेस ने इस खुलासे के समय पर सवाल उठाया है, जबकि राज्य की सत्ताधारी नेशनल कान्फ्रेंस ने उन्हें नाम बताने या कानूनी कार्रवाई का सामना करने की धमकी दी है। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने इस तरह की गतिविधियों पर अंकुश लगाने की मांग की है, जबकि अलगाववादियों ने कहा है कि इस खुलासे से `मुख्यधारा के नेताओं` के बारे में उनके दावे की पुष्टि हो जाती है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने हालांकि कहा है कि पूर्व सेनाध्यक्ष को हाल ही में उसके प्रधानमंत्री पद प्रत्याशी के साथ मंच साझा करने के कारण घेरा जा रहा है जिसके कारण उन्हें मुंह खोलने पर मजबूर किया गया है। केंद्रीय गृह मंत्री सुशीलकुमार शिंदे ने कहा कि पूर्व सेनाध्यक्ष को मंत्रियों के नाम बताने चाहिए और उन्होंने जांच का आश्वासन दिया। केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री फारुख अब्दुल्ला ने दावे की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग की।
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री आर.पी.एन.सिंह ने कहा कि यह मुद्दा बहुत संवेदनशील है और मीडिया और वी.के.सिंह का संयम रखना चाहिए। ऐसी बातें टेलीविजन पर चर्चा करने के लिए नहीं हैं।
गुड़गांव में एक संवाददाता सम्मेलन में पूर्व सेनाध्यक्ष ने सफाई दी कि जम्मू एवं कश्मीर की सरकार गिराने के लिए नहीं, वरन वह रकम विकास कार्यो के लिए दी गई थी।
उन्होंने कहा कि कश्मीर के एक गैरसरकारी संगठन को सेना कोष से धन इसलिए दिया गया था, ताकि खासतौर से जम्मू एवं कश्मीर के युवाओं को विकास संबंधित गतिविधियों में लगाया जाए।
उन्होंने सेना की `लीक` रिपोर्ट की जांच कराने की मांग की। कथित लीक रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्व सेनाध्यक्ष ने अपने कार्यकाल के दौरान जम्मू एवं कश्मीर सरकार को अस्थिर करने के लिए सेना के गुप्तकोष का दुरुपयोग किया था और राज्य के मंत्री गुलाम हसन मीर को इस काम के लिए 1.9 करोड़ रुपये दिए गए थे। मीर ने भी सेना के गुप्त कोष से कोई धन मिलने से इनकार किया है।
संवाददाताओं से बातचीत में जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने जनरल सिंह के रहस्योद्घाटन को `भयानक` बताया और कहा कि सेना को गैर-राजनीतिक रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि वी.के.सिंह के बयान को उन्होंने केवल मीडिया के माध्यम से ही सुना है। मैं बहुत दुखी महसूस कर रहा हूं कि सेना कोष का उपयोग इस तरह से करती है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने कहा कि ऐसी खबरों से वह स्तब्ध हैं। वह भी मुख्यमंत्री रहे और उनको इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।
केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि यदि कोई भी गलती पाई गई तो सेवारत या अवकाश प्राप्त किसी भी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई होगी। नेशनल कान्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन सरकार के मंत्रियों ने जनरल सिंह के उस बयान को हास्यास्पद बताया, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि राज्य में स्थिरता लाने के लिए सभी मंत्री सेना से धन हासिल करते हैं। नेशनल कांफ्रेंस के एक वरिष्ठ मंत्री ने कहा कि वह पूरी तरह निराशा में हैं। उनके खिलाफ जांच में हममें से एक का नाम लिया गया है.. वह जिन्हें समझ रहे हैं कि इस तरह का धन मिलता रहा है, उन सभी के नाम सामने लाकर वह रिकॉर्ड कायम क्यों नहीं करते।
नेशनल कान्फ्रेंस के प्रांतीय अध्यक्ष देवेंदर राणा ने टेलीविजन पर एक बहस के दौरान कहा कि भारतीय राष्ट्र और भारतीय सेना के लिए वास्तव में यह एक दुखद दिन है, जब पूर्व सेनाध्यक्ष ने ऐसा आधारहीन बयान दिया है। राणा ने कहा कि सिंह को उन मंत्रियों के नाम बताने चाहिए जिन्होंने धन प्राप्त किया है। यदि नेशनल कान्फ्रेंस के किसी भी मंत्री का नाम सामने आया तो मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला उसे बर्खास्त करेंगे, क्योंकि नेशनल कान्फ्रेंस सार्वजनिक जीवन में नैतिकता और ईमानदारी में विश्वास करती है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, September 25, 2013, 08:38