'पूर्व चीफ जस्टिस बालकृष्णन के खिलाफ जांच जारी' - Zee News हिंदी

'पूर्व चीफ जस्टिस बालकृष्णन के खिलाफ जांच जारी'

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सोमवार को बताया कि वह देश के पूर्व प्रधान न्यायाधीश के जी बालकृष्णन और उनके संबंधियों के खिलाफ लगे आरोपों की जांच कर रही है। साथ ही केंद्र ने मामले की जांच संबंधी एक स्थिति रिपोर्ट न्यायालय को एक सीलबंद लिफाफे में सौंपी।

 

देश के पूर्व प्रधान न्यायाधीश के जी बालकृष्णन और उनके संबंधियों पर आरोप है कि बालकृष्णन के जज के तौर पर कार्यकाल के दौरान उन्होंने आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक की संपत्ति अर्जित की।

 

प्रधान न्यायाधीश एस एच कपाड़िया और न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की पीठ के समक्ष अटॉनी जनरल जी ई वाहनवती ने कहा कि आयकर विभाग वर्तमान में बालकृष्णन के दोनों दामादों और भाई की संपत्तियों की जांच कर रहा है।

 

रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद पीठ ने सरकार से जानना चाहा कि पूर्व प्रधान न्यायाधीश पर लगे आरोपों के संदर्भ में उसका कौन सी कार्रवाई करने का इरादा है। यह बताने के लिए पीठ ने सरकार को तीन सप्ताह का समय दिया है।

 

न्यायालय का यह आदेश कॉमन कॉज संगठन की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान आया। याचिका में आरोप लगाया गया है कि देश के पूर्व प्रधान न्यायाधीश के जी बालकृष्णन और उनके संबंधियों ने, बालकृष्णन के सुप्रीम कोर्ट में जज के तौर पर कार्यकाल के दौरान आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक की संपत्ति अर्जित की।

 

जारी जनहित याचिका में सुप्रीम कोर्ट से सरकार को पूर्व प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ समुचित कार्रवाई करने का आदेश देने का अनुरोध किया गया है। वर्तमान में बालकृष्णन राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष हैं।

 

न्यायमूर्ति बालकृष्णन को जून 2000 में सुप्रीम कोर्ट में जज बनाया गया था। फिर 14 जनवरी 2007 को उन्हें देश का प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किया गया। 12 मई 2010 में सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया।

 

गैर सरकारी संगठन कॉमन कॉज ने आग्रह किया है कि गृह मंत्रालय न्यायमूर्ति बालकृष्णन पर लगे कदाचार के आरोपों की मानवाधिकार अधिनियम के तहत जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट को एक संदर्भ दे।

 

अधिवक्ता प्रशांत भूषण के माध्यम से दाखिल याचिका में कहा गया है ‘इस तथ्य के बावजूद कि, प्रतिवादी संख्या तीन (बालकृष्णन) के गंभीर कदाचार की कार्रवाई का दोषी होने के पुख्ता सबूतों के संकेत हैं, सरकार ने उन्हें मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से हटाने के लिए कोई कदम नहीं उठाए।’

 

अपने आरोपों को बल देने के लिए याचिका के साथ ‘कॉमन कॉज’ ने समाचार पत्रों में बालकृष्णन के उच्चतम न्यायालय में कार्यकाल के दौरान, उनके परिजनों द्वारा खरीदी गई ‘बेनामी’ संपत्ति के बारे में प्रकाशित खबरों की कतरनें भी नत्थी की हैं। (एजेंसी)

First Published: Monday, March 12, 2012, 14:48

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