Last Updated: Sunday, May 5, 2013, 11:37
नई दिल्ली : गृह मंत्रालय का मानना है कि पूर्वोत्तर राज्यों के कई उग्रवादी समूहों का अस्तित्व समाप्त हो गया है। एजेंसियों और सुरक्षाबलों के प्रयासों तथा पडोसी देशों की मदद से ऐसा संभव हुआ। मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि एजेंसियों और सुरक्षाबलों के लगातार प्रयासों और पडोसी देशों की मदद से कई समूहों का अस्तित्व अब समाप्त हो गया है तथा कई पर प्रहार किया गया है जिससे वे लगभग निष्प्रभावी हो गये हैं।
उन्होंने दावा किया कि मणिपुर के विद्रोही समूहों के कुछ कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी, उपरी असम और अरूणाचल प्रदेश में शेष माओवादियों के उन्मूलन से पूर्वोत्तर के उग्रवादी समूहों के माओवादियों के बीच संबंध टूट गये हैं। पूर्वोत्तर के राज्यों में मादक द्रव्यों की तस्करी के बारे में पूछने पर अधिकारी ने कहा कि मादक द्रव्य बडे पैमाने पर जब्त किये जा रहे हैं । मादक द्रव्यों को लेकर एजेंसियां अधिक सतर्क हो गयी हैं । उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में पिछले कुछ महीनों के दौरान विद्रोही तत्वों ने बडी संख्या में आत्मसमर्पण किया है।
उल्लेखनीय है कि 2012 में पूर्वोत्तर में उग्रवाद की 1025 वारदात हुई । गिरफ्तार, मारे गये और समर्पण करने वाले उग्रवादियों की संख्या 3562 रही । सुरक्षाबलों के शहीद हुए जवानों की संख्या 14 थी जबकि मारे गये आम नागरिकों की संख्या 97 थी । इससे पहले के आंकडों पर नजर डालें तो पाएंगे कि 2011 में उग्रवाद की 627 वारदात हुई । इनमें 2746 उग्रवादी या तो गिरफ्तार हुए या मारे गये या फिर उन्होंने आत्मसमर्पण किया । इस दौरान शहीद हुए सुरक्षा जवानों की संख्या 32 थी और मारे गये आम नागरिकों की संख्या 70 थी।
2010 में कुल 773 वारदात हुई, जिनमें 3306 उग्रवादी या तो मारे गये, गिरफ्तार हुए या फिर आत्मसमर्पण किया। इस अवधि में 20 सुरक्षा जवान शहीद हुए और 94 आम नागरिक मारे गये। (एजेंसी)
First Published: Sunday, May 5, 2013, 11:37