Last Updated: Saturday, November 26, 2011, 12:27
नई दिल्ली : पूर्व आईपीएस अधिकारी और टीम अन्ना की अहम सदस्य किरन बेदी को शनिवार को दोहरा झटका लगा। एक ओर दिल्ली की एक अदालत ने विदेशी कंपनियों और अन्य संस्थानों के साथ कथित रूप से सांठगांठ करके धोखाधड़ी और राशि का अनुचित इस्तेमाल करने के लिए उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश दिए, वहीं अदालत ने राष्ट्रमंडल खेलों से संबंधित भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच की उनकी याचिका भी ठुकरा दी।
अदालत ने बेदी समेत योगगुरु रामदेव और अरविंद केजरीवाल की ओर से राष्ट्रमंडल खेलों में हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच की याचिका ठुकरा दी। अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अमित बंसल ने दिल्ली के वकील देवेंद्र सिंह चौहान की शिकायत पर दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा को टीम अन्ना की मुख्य सदस्य किरन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश दिए।
चौहान ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि किरन ने अपने ट्रस्ट ‘इंडिया विजन फाउंडेशन’ के बैनर तले ‘मेरी पुलिस’ कार्यक्रम के तहत मुफ्त कम्प्यूटर प्रशिक्षण देने के नाम पर विभिन्न अद्धसैनिक बलों और राज्य पुलिस संगठनों को ‘लूटा’। उन्होंने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि किरन को बीएसएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी और सीआरपीएफ और अन्य राज्य पुलिस संगठनों के जवानों, बच्चों और परिवार के सदस्यों को मुफ्त कम्प्यूटर प्रशिक्षण के नाम पर माइक्रोसाफ्ट से 50 लाख रुपए का दान मिला था।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि किरन के ट्रस्ट को जवानों के बच्चों और परिवार के सदस्यों को मुफ्त कम्प्यूटर शिक्षा मुहैया करानी थी। शिकायतकर्ता ने कहा, ‘मुफ्त कम्प्यूटर प्रशिक्षण या मुफ्त कम्प्यूटर वितरित करने की बजाय किरन बेदी ने कुछ अज्ञात व्यक्तियों के साथ सांठगांठ करके वेदांता फाउंडेशन से धोखाधड़ी की और पुलिस, विभिन्न अद्धसैनिक बलों तथा नागरिक पुलिस को धोखा देने की योजना बनाई। किरन बेदी ने इस उद्देश्य के लिए प्रत्येक प्रशिक्षण केंद्र के लिए 20 हजार रुपए प्रति महीने वसूले।’
शिकायतकर्ता ने कहा, ‘किरन ने अपने लिए राशि निकालने के लिए वेदांता के साथ दान समझौता किया। इसके तहत 20 हजार रुपए की राशि में से छह हजार रुपए वेदांता की ओर से उनके दो ट्रस्टों (इंडिया विजन फाउंडेशन और नवज्योति फाउंडेशन) को इस झूठे आधार पर दिए गए कि किरन बेदी ने कथित केंद्रों की गतिविधियां चलाने के लिए भूमि और बिजली की व्यवस्था की है।’
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि भूमि और बिजली की व्यवस्था पुलिस संगठनों की ओर से की गई और किरन का इन इंतजामों से कुछ लेना देना नहीं था। उसने आरोप लगाया कि किरन को विदेशों से उनके दोनों ट्रस्टों के लिए भारी राशि मिल रही है और प्रवर्तन निदेशालय को इसकी जांच करनी चाहिए।
वहीं किरन ने अदालत के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें इस पर आश्चर्य नहीं हुआ। उन्होंने कहा, ‘मुझे सूचना दी गई कि मेरे खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई है। मेरे लिए कुछ भी आश्चर्यजनक नहीं है। इससे मेरे भीतर और काम करने की इच्छा प्रबल हुई है।’
(एजेंसी)
First Published: Sunday, November 27, 2011, 11:55