पॉन्टी चड्ढा : शराब के धंधे का था शहंशाह

पॉन्टी चड्ढा : शराब के धंधे का था शहंशाह

पॉन्टी चड्ढा : शराब के धंधे का था शहंशाहप्रवीण कुमार
नई दिल्ली : यूपी के बड़े शराब व रियल स्टेट कारोबारी और कथित तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के करीबी माने जाने वाले पॉन्टी चड्ढा और उनके भाई हरदीप चड्ढा की गोली मारकर हत्या कर दी गई। माना जा रहा है दोनों भाईयों में संपत्ति को लेकर लंबे समय से विवाद चला आ रहा था। हत्या की इस घटना को संपत्ति विवाद के नजरिये से ही देखा जा रहा है।

57 साल के पॉन्टी चड्ढा ने ‘जो बोले सो निहाल′ फिल्म बनाने में भी अपने पैसे लगाए थे और ‘मर्डर-टू’ भी उत्तर भारत के सिनेमाघरों में उनकी वजह से ही पहुंच पाईं थी। ‘खाकी’, ‘गदर’ और ‘कंपनी’ जैसी फिल्मों को सिनेमाघरों में लाने के पीछे भी इनकी भूमिका रही है। पॉन्टी चड्ढा का असली नाम गुरदीप सिंह है और वेव सिनेमा चेन के मालिक भी हैं। इसके साथ ही लुधियाना, लखनऊ, मुरादाबाद, नोएडा, दिल्ली, गाजियाबाद और ग्रेटर नोएडा में कई मॉल्स, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, सिनेमाघर और डिस्को थेक चलाते हैं।

पॉन्टी चड्ढा का कारोबारी साम्राज्य करीब 08 हजार करोड़ रुपए का बताया जाता है और मीडिया में उनके सियासी रसूख के बारे में अक्सर कहा जाता रहा है कि पंजाब दिल्ली और उत्तर प्रदेश की सत्ता और तंत्र उन्हें अनसुना नहीं कर सकती। पॉन्टी चड्ढा को उत्तर भारत का एक बड़ा बिजनेस अंपायर के रूप में जाना जाता है। पॉन्टी के पास वेव सिनेमा, कई मॉल और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के साथ-साथ उत्तर प्रदेश, राजस्थान और पंजाब में कई रिहायशी कॉलोनियां हैं। बिलासपुर में कागज बनाने का कारोबार और उत्तर प्रदेश व पंजाब में बिजली बनाने की फैक्ट्री भी है। उत्तर प्रदेश में सात चीनी मिलें, पंजाब की एक चीनी मिल और कोका कोला के बॉटलिंग की एक फ्रेंचाइजी शामिल है। पॉन्टी का सबसे बड़ा कारोबार है शराब का है। पॉन्टी को उत्तर भारत में शराब के धंधे का शहंशाह कहा जाता है।

पॉन्टी चड्ढा की कामयाबी की कहानी मूलत: पंजाब से शुरू होती है। पंजाब में एक नेता के शराब कारोबार पर एकछत्र राज को तोड़ने के लिए पॉन्टी को कारोबार में पैर पसारने का मौका दिया गया था। पॉन्टी ने पैर पसारे और इस कारोबार का राजा बन बैठा। शराब बनाने के अलावा पॉन्टी की कंपनी शराब की फुटकर बिक्री और सप्लाई का भी काम करता है। पॉन्टी को शराब के कारोबार ने सियासी गलियारों तक पहुंचाया। पंजाब से शुरुआत हुई और उत्तर प्रदेश की मुलायम सरकार के दौरान जड़ें जमाने के बाद मायावती सरकार में इसे खूब फलने-फूलने का मौका मिला। लेकिन मायावती सरकार से उनकी करीबी ही पॉन्टी के लिए मुश्किलों की सौगात भी लेकर आई।

साल 2009 में उत्तर प्रदेश सरकार की माया सरकार ने शराब के कारोबार में राजस्व वसूली का छह हजार करोड़ का टेंडर पॉन्टी चड्ढा की प्राइवेट फर्म को सौंप दिया। चौंका देने वाले इस फैसले के बाद विपक्ष ने आरोप लगाया था कि मायावती सरकार ने अपने करीबी पॉन्टी चड्ढा को पूरे प्रदेश के शराब कारोबार को अपने इशारों पर नचाने का अधिकार दे दिया है। पॉन्टी के पिता कुलवंत सिंह ने साठ के दशक में पहली चीनी मिल मुरादाबाद में लगाई थी तब से ही पॉन्टी इसकी भी देखरेख कर रहे थे।

पॉन्टी पर इल्जाम लगा कि मायावती सरकार के साथ मिल कर इस धंधे को उन्होंने गोरखधंधे में बदल दिया। यूपी सरकार ने साल 2010 में 10 मिलों की नीलामी की थी और इल्जाम ये था कि नीलामी की शर्ते ऐसी थीं कि सिर्फ दो कंपनियां ही नीलामी में शामिल हो पाईं जिसमें एक पॉन्टी चड्ढा की थी। ये भी आरोप था कि पॉन्टी को मिल बेचने के लिए रिजर्व दामों से आधे पैसे में ही नीलामी कर दी गई। इस तरह के गोरखधंधे ने पॉन्टी का अपने भाई से भी मतभेद शुरू हो गया। बताया जाता है कि दोनों भाईयों में संपत्ति को लेकर काफी समय से विवाद चल रहा था।

First Published: Saturday, November 17, 2012, 15:12

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