Last Updated: Thursday, September 5, 2013, 14:39
(शिक्षक दिवस पर विशेष)
नई दिल्ली : शिक्षा की गुणवत्ता के संबंध में विभिन्न वर्गों की चिंता और इस दिशा में सरकार के प्रयासों के बीच शिक्षकों को आज न केवल प्रतिकूल परिस्थितियों में काम करना पड़ रहा है बल्कि कम वेतन, सरकारी योजनाओं को लागू करने का दायित्व एवं गैर अकादमिक कार्यो में उन्हें लगाने से शिक्षा का स्तर लगातार गिरता जा रहा है।
शिक्षाविदों का कहना है कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तब तक सुनिश्चित नहीं की जा सकती जब तक शिक्षक पेशा को आकषर्क, सम्मानजनक न बनाया जाये और शिक्षण संस्थाओं में शिक्षकों की कमी को दूर नहीं किया जाए।
जाने माने शिक्षाविद प्रो. यशपाल ने कहा कि आज शिक्षकों पर काफी सारी जिम्मेदारी डाल दी गई है। यह मान कर चला जा रहा है कि उन्हें कहीं भी लगा दो। यह ठीक नहीं है। नेशनल यूनिवर्सिटी आफ एजुकेशनल प्लानिंग एंड एडमिन्रिटेशन (नूपा) की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में स्कूलों के शिक्षकों का काफी समय गैर अकादमिक कार्यों में लग जाता है। स्कूल के शिक्षकों पर गैर अकादमिक कार्यो और सरकारी कार्यक्रम को लागू करने का भार लगातार बढ़ना महत्वपूर्ण बाधा बन कर उभर रहा है।
जाने माने गणितज्ञ एवं सुपर 30 के संस्थापक आनंद कुमार ने कहा कि आज शिक्षक पेशा आकर्षक नहीं रहा और लोगों की इसमें रुचि कम होती जा रही है। जब तक शिक्षकों का सम्मान सुनिश्चित नहीं किया जाएगा तब तक शिक्षक दिवस महज रस्मअदायगी बन कर रह जाएगी। उन्होंने कहा कि स्कूली शिक्षा के स्तर पर करीब सात लाख शिक्षकों के पद रिक्त है और विश्वविद्यालय स्तर पर भी भारी संख्या में शिक्षकों के पद खाली है। शिक्षकों की नियमित नियुक्ति की बजाए काफी कम पैसे पर औपबंधिक नियुक्ति की जा रही है। आज शिक्षा पेशा लोगों को नीरस लगने लगा है जो कभी गौरव का विषय हुआ करता था। (एजेंसी)
First Published: Thursday, September 5, 2013, 14:39