प्रदर्शनकारियों की तुलना माओवादियों से कर बैठे शिंदे

प्रदर्शनकारियों की तुलना माओवादियों से कर बैठे शिंदे

प्रदर्शनकारियों की तुलना माओवादियों से कर बैठे शिंदेनई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी में एक लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म के बाद फैले जनाक्रोश से निपट पाने में राजनीतिक नेतृत्व के संघर्ष करने के बीच गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे आज इंडिया गेट पर प्रदर्शनकारियों की तुलना हथियारबंद माओवादियों से करते दिखे।

शिंदे ने कहा कि यह कहना बहुत आसान है कि गृह मंत्री इंडिया गेट जाएं और बातचीत करें। कल अगर कोई अन्य राजनीतिक दल प्रदर्शन करता है कि गृह मंत्री को वहां क्यों नहीं जाना चाहिए। कल कांग्रेस , भाजपा प्रदर्शन करेंगी, कल माओवादी यहां आएंगे और हथियारों के साथ प्रदर्शन करेंगे। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि लोगों को सरकार की भूमिका समझनी चाहिए और सरकार को कहीं नहीं जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि यह कल किसी अन्य सरकार के साथ होगा। सरकार को कहीं क्यों जाना चाहिए? यह पूछे जाने पर कि क्या वह प्रदर्शनकारियों की तुलना माओवादियों से करने की कोशिश कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि आप इसे कानून व्यवस्था से अलग नहीं कर सकते। मैं इसके बारे में पहले ही बात कर चुका हूं। जिस दिन से उन्होंने प्रदर्शन शुरू किया, मैं उनसे अपने घर, अपने कार्यालय में मुलाकात कर चुका हूं .. मैंने उनके प्रतिनिधियों से मुलाकात की।

गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि ये सब करने के बाद अगर वे कहते हैं कि हमें न्याय चाहिए तो किस तरह का न्याय हम देंगे ? कुछ सीमा होनी चाहिए, हमनें सारी मांगें स्वीकार की हैं। उन्होंने कहा कि पिछले रविवार को यहां हुए सामूहिक दुष्कर्म के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान इंडिया गेट और उसके आसपास के इलाकों में कल की हिंसा के पीछे कुछ ‘राजनीतिक तत्व’ थे।

शिंदे ने कहा कि हमारे पास सूचना है कि हिंसा के पीछे कुछ राजनीतिक तत्व थे। हम इसकी जांच कर रहे हैं। गृह मंत्री ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध और खासकर बलात्कार को लेकर केंद्र सभी प्रदेशों के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों की चार जनवरी को बैठक बुला रही है।

उन्होंने कहा कि चार जनवरी की बैठक में महिलाओं के खिलाफ अपराध के व्यापक हालात और खासतौर से बलात्कार और उन्हें रोकने के तरीकों पर चर्चा की जाएगी। हम इस पर भी चर्चा करेंगे कि कैसे बलात्कार के मामलों की त्वरित सुनवाई की जाए। शिंदे ने कहा कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति की महिलाएं अक्सर यौन हिंसा का शिकार बनती हैं और सरकार उनकी शिकायतों की जांच करेगी।

सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि अनुसूचित जाति और जनजाति सुदूर इलाकों में रहते हैं , इसलिए ऐसे अपराध सामने नहीं आ पातें। लेकिन हम समाज के इन वंचित वर्गों को सुरक्षा मुहैया करा पाने के लिए गंभीर हैं। गृह मंत्री ने कहा कि उन्होंने आज दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से मुलाकात की और महिलाओं के खिलाफ अपराध, खासतौर पर हालिया सामूहिक दुष्कर्म को लेकर फास्ट ट्रैक अदालतें गठित करने का आग्रह किया।

यह पूछे जाने पर कि क्या यौन अपराधों के खिलाफ और कड़े कानून बनाने के लिए सरकार संसद का विशेष सत्र बुलाने की कोई योजना बना रही है, उन्होंने ना में जवाब दिया और कहा कि संसद के विशेष सत्र की कोई जरूरत नहीं है। गृह मंत्री ने कहा कि आप हमारी कार्रवाई देखेंगे तब आपको महसूस होगा । हमने (मौजूदा कानूनों की समीक्षा के लिए कल रात गठित) इस समिति को एक महीने का समय दिया है। उन्होंने कहा कि मैं उनसे जल्द से जल्द अपने सुझाव देने को कहूंगा और हम उनपर अमल करेंगे। (एजेंसी)

First Published: Monday, December 24, 2012, 16:26

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