प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का स्‍थायित्‍व व धर्मनिरपेक्ष मूल्‍यों पर जोर, पाकिस्‍तान को चेताया

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का स्‍थायित्‍व व धर्मनिरपेक्ष मूल्‍यों पर जोर, पाकिस्‍तान को चेताया

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का स्‍थायित्‍व व धर्मनिरपेक्ष मूल्‍यों पर जोर, पाकिस्‍तान को चेतायानई दिल्ली : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गुरुवार को राजनीतिक स्थिरता और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की वकालत की और पाकिस्तान को चेताया कि यदि वह भारत से दोस्ती की इच्छा रखता है तो उसे भारत विरोधी सभी गतिविधियों का त्याग करना होगा।

अगले वर्ष 2014 में होने वाले आम चुनाव से पहले वर्तमान सरकार के प्रधानमंत्री के रूप में अंतिम स्वतंत्रता दिवस संबोधन में देश में मनमोहन सिंह ने वर्ष 2004 में सत्ता में आए कांग्रेस नीत संप्रग सरकार की उपब्धियों का ब्योरा भी दिया।

पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि संबंध सुधारने के लिए पड़ोसी देश से हो रही भारत विरोधी गतिविधियां बंद करनी होंगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ मित्रता का इच्छुक है लेकिन पाकिस्तान के साथ संबंधों में केवल तभी सुधार आ सकता है जब वह अपने क्षेत्र से भारत विरोधी गतिविधियों को रोक दे।

हाल ही में जम्मू एवं कश्मीर में पाकिस्तानी सैनिकों के अकारण हमले में शहीद हुए पांच जवानों की तरफ इशारा करते हुए प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया किया कि 'ऐसी घटनाएं दोबारा नहीं हो इसके सभी संभव उपाय आजमाए जाएंगे।'

देश के 67वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले के प्राचीर से हिंदी में राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने सरकार की सफलता, लक्ष्यों का ब्योरा देते हुए व्यापक तस्वीर पेश की और कुछ क्षेत्रों की कमजोरी को भी स्वीकार किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें अपने देश की उस परंपरा को मजबूत करने की जरूरत है, जो हमें सहिष्णुता और भिन्न विचारों का सम्मान करना सिखाती है।

सिंह ने राष्ट्र को आश्वस्त किया कि हाल के महीनों में तेज औद्योगिक स्वीकृति, आधारभूत ढांचा निर्माण और विदेशी धन के प्रवाह में वृद्धि के लिए उठाए गए कदमों के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था एक बार फिर तेजी से वृद्धि करेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे विश्वास है कि भारत की धीमी वृद्धि का दौर लंबा नहीं चलेगा। पिछले नौ वर्षों में हमारी अर्थव्यवस्था ने वार्षिक 7.9 प्रतिशत के औसत से विकास किया है। विकास की यह गति किसी भी दशक से ज्यादा है।

प्रधानमंत्री ने आर्थिक उपलब्धियों की चर्चा करते हुए बहुचर्चित खाद्य सुरक्षा विधेयक का भी उल्लेख किया और कहा कि संसद शीघ्र ही इसे पारित करेगी। उन्होंने स्वीकार किया कि शिक्षा पद्धति में सुधार की दिशा में काफी कुछ किया जाना बाकी है।

प्रधानमंत्री ने देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि आतंकवाद और नक्सल हिंसा घटी है लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में लगातार निगरानी की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा अपने पड़ोसी देशों के साथ दोस्ती का प्रयास किया है। हालांकि पाकिस्तान के साथ संबंध सुधरने के लिए अनिवार्य है कि पड़ोसी देश अपनी भूमि और अपने नियंत्रण वाले क्षेत्र को भारत विरोधी गतिविधि के लिए इस्तेमाल होने से रोके।

अपने करीब 30 मिनट के भाषण में ऐसा लगा कि सिंह ने भाजपा और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि संकीर्ण और सांप्रदायिक विचारधारा की आधुनिक, प्रगतिशील और धर्म निरपेक्ष भारत में कोई जगह नहीं है। उन्होंने आगाह किया कि ऐसी विचारधाराएं समाज को बांटेंगी और हमारे लोकतंत्र को कमजोर करेंगी। ‘हमें ऐसी विचारधाराओं को पनपने से रोकना चाहिए।’

लगातार दसवीं बार स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधन कर रहे सिंह ने जोर देकर कहा कि सहिष्णुता को प्रोत्साहित करने के लिए धर्म निरपेक्ष परंपराओं को मजबूत करने की जरूरत है। मुगल शासक शाहजहां द्वारा 17वीं शताब्दी में निर्मित लाल किले पर आज चाक चौबंद सुरक्षा व्यवस्था थी। समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, रक्षा मंत्री एके एंटनी सहित केन्द्रीय मंत्री, लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेता सुषमा स्वराज और अरूण जेटली तथा विदेशी राजनयिक शामिल हुए।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमारा भारत खुशहाल होगा और उसकी खुशहाली में सभी नागरिक बराबर के शरीक होंगे चाहे उनका धर्म, जाति, क्षेत्र, भाषा कुछ भी हो। इसके लिए हम सबको मिलकर देश में राजनीतिक स्थिरता, सामाजिक एकता और सुरक्षा का माहौल बनाना होगा।’ आईएनएस सिंधुरक्षक की दुर्घटना पर गहरा अफसोस व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, ‘हमें इस बात का भी बेहद अफसोस है कि कल एक दुर्घटना में हमने अपनी पनडुब्बी आईएनएस सिंधुरक्षक को खो दिया। इस हादसे में 18 बहादुर नौसैनिकों के शहीद होने की आशंका है। यह नुकसान इसलिए और भी दर्दनाक है क्योंकि अभी हाल ही में हमारी नौसेना ने अपनी पहली परमाणु पनडुब्बी अरिहंत और विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत के रूप में दो बडी कामयाबियां हासिल की थीं ।’

राष्ट्रीय सुरक्षा के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में स्थिति में सुधार हुआ है। 2012 में और इस साल कुछ राज्यों में सांप्रदाययिक हिंसा की चिन्ताजनक घटनाओं के बावजूद पिछले 9 साल सांप्रदायिक सद्भाव की दृष्टि से अच्छे गुजरे हैं। आतंकवादी और नक्सली हिंसा में भी कमी आयी है।’ उन्होंने कहा, ‘लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा के संबंध में हमें लगातार सावधानी बरतने की आवश्यकता है। समय-समय पर हो रहे नक्सली हमलों को पूरी तरह रोकने में हम सफल नहीं हो पाए हैं। छत्तीसगढ़ में पिछली 25 मई को जो नक्सल हिंसा हुई, वह भारत के लोकतंत्र पर सीधा हमला था।’

गरीबी के आंकड़ों को लेकर हो रहे विवाद का परोक्ष रूप से जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि गरीबी को नापना एक मुश्किल काम है । गरीबी की परिभाषा को लेकर लोगों के अलग अलग मत हैं । लेकिन हम गरीबी की चाहे कोई भी परिभाषा अपनाएं, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि 2004 के बाद गरीबी कम होने की गति तेज हुई है।

खाद्य सुरक्षा के बारे में उन्होंने कहा, ‘खाद्य सुरक्षा कानून बनने के बाद उसे प्रभावी ढंग से लागू करना हमारी प्राथमिकताओं में से एक रहेगी। इस दिशा में हमने राज्यों के साथ मिलकर काम करना शुरू कर दिया है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के कंप्यूटरीकरण के काम में तेजी लायी जाएगी।’ उत्तराखंड त्रासदी को लेकर प्रधानमंत्री ने राज्य की जनता को भरोसा दिलाया कि मुश्किल की घड़ी में सारा देश उनके साथ है। ‘हमारी सरकार जल्द से जल्द लोगों के उजड़े हुए घर दोबारा बसाने और बर्बाद हुए बुनियादी ढांचे को फिर से बनाने के लिए अपनी पूरी ताकत से काम कर रही है।’

सिंह ने कहा कि पचास के दशक में पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में एक लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में भारत ने अपना पहला कदम रखा। देश में परमाणु ऊर्जा आयोग, योजना आयोग और निर्वाचन आयोग जैसी संस्थाओं की स्थापना की गई, जिन्होंने आगे चलकर राष्ट्र निर्माण के काम में बहुत बड़ा योगदान किया। पहली बार आम चुनाव कराये गए और देश के सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिए पहली पंचवर्षीय योजना का सिलसिला शुरू किया गया। उन्होंने कहा कि साठ के दशक में नेहरू ने नए-नए उद्योग और कारखाने लगवाए, नई सिंचाई परियोजनाएं शुरू कीं और नए विश्वविद्यालय खोले। राष्ट्र निर्माण में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के महत्व पर जोर देकर उन्होंने इस प्राचीन देश को एक आधुनिक राष्ट्र के रूप में विकसित करने का काम शुरू किया।

सिंह ने कहा, ‘मेरा मानना है कि पिछला दशक भी हमारे देश के इतिहास में बहुत बड़े बदलावों का दशक रहा है। देश की आर्थिक समृद्धि जितनी इस दशक में बढ़ी है, उतनी पहले किसी दशक में नहीं बढ़ी। लोकतांत्रिक ताकतों को बढ़ावा मिला है और समाज के बहुत से वर्ग विकास की प्रक्रिया से पहली बार जुड़े हैं। आम आदमी को नए अधिकार मिले हैं जिनकी बदौलत उसकी सामाजिक और आर्थिक ताकत बढ़ी है।

उन्होंने कहा कि मई 2004 में पहली संप्रग सरकार सत्ता में आयी थी। तब से लेकर आज तक हमने एक प्रगतिशील और आधुनिक भारत बनाने के लिए लगन और ईमानदारी से काम किया है। सिंह ने कहा, ‘हमने एक खुशहाल भारत की कल्पना की है। एक ऐसा भारत जो सदियों से चले आ रही गरीबी, भूख और बीमारी के बोझ से मुक्ति पा चुका हो। जहां शिक्षा के उजाले से अज्ञानता और अंधविश्वास के अंधेरे दूर हो चुके हों।

सिंह ने कहा, ‘हमने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की आवाज बुलंद करनी चाही है। हमने एक ऐसे राष्ट्र का निर्माण करना चाहा है जिसे सारी दुनिया आदर और सम्मान के साथ देखे।’ खाद्य सुरक्षा विधेयक की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले खाद्य सुरक्षा कानून बनाने की दिशा में एक अध्यादेश जारी किया गया है। खाद्य सुरक्षा विधेयक संसद के सामने है और हमें उम्मीद है कि यह जल्द ही पारित हो जाएगा। इस कानून का फायदा हमारे गांवों की 75 फीसदी और शहरों की आधी आबादी को पहुंचेगा। इसके तहत 81 करोड़ भारतीयों को तीन रुपये किलो चावल, दो रुपये किलो गेहूं और एक रुपये किलो मोटा अनाज मिल पाएगा। यह दुनिया भर में इस तरह का सबसे बड़ा प्रयास है।

उन्होंने कहा कि हम अपने किसानों की मेहनत की वजह से ही इस कानून को लागू कर पाये हैं। 2011-12 में हमारी अनाज की पैदावार 25.9 करोड़ टन रही जो एक रिकार्ड है। ‘बिना तेज कृषि विकास के हम अपने गांवों में खुशहाली पहुंचाने का मकसद हासिल नहीं कर सकते। पैदावार बढ़ाने और किसानों को उनकी फसल का बेहतर मूल्य दिलवाने के लिए हमने लगातार कोशिशें की हैं। फसलों के खरीद मूल्यों में पिछले नौ साल में पहले से कहीं ज्यादा बढ़ोतरी की गयी है। गेहूं और धान के खरीद मूल्य दोगुने से अधिक किये गए हैं। कई ऐसे राज्यों में जहां पहले अनाज की कमी रहती थी, आज उनकी अपनी जरूरत से ज्यादा पैदावार हो रही है।’ सिंह ने कहा कि 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान कृषि विकास की औसत सालाना दर 3.6 प्रतिशत रही है जो 9वीं और 10वीं योजना दोनों से ज्यादा है।

सिंह ने कहा कि अब ग्रामीण इलाकों में खुशहाली बढ़ने के साफ संकेत दिखाई देने लगे हैं। 2004 से लेकर 2011 तक प्रति व्यक्ति उपभोग किया जा रहा सामान और सुविधाएं पहले के मुकाबले चार गुना तेजी से बढ़े हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण मजदूरी दर में भी कहीं अधिक तेजी से बढ़ोतरी हुई है। मनरेगा की बदौलत ग्रामीण क्षेत्रों में करोड़ो गरीब लोगों को रोजगार मिल रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कई ऐसे राज्य जो बहुत समय से पिछड़े माने जाते थे और जिनमें से कुछ को बीमारू कहा जाता था, आज तेजी से विकास कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि भारत में हर बच्चे को शिक्षा के अवसर देने के लिए हमने शिक्षा का अधिकार कानून बनाया है। आज देश में लगभग सभी बच्चे प्राथमिक स्कूलों में पढ़ रहे हैं। कालेज जाने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या पिछले नौ साल में दोगुनी से भी ज्यादा हो गयी है। सिंह ने कहा कि गरीबों और कमजोर तबके के बच्चों को शिक्षा के अवसरों का फायदा दिलाने के लिए हमने बड़े पैमाने पर वजीफों के कार्यक्रम शुरू किये हैं। आज देश भर में दो करोड़ से ज्यादा बच्चों को केन्द्र सरकार द्वारा वजीफे दिये जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कई नए संस्थान खोले गए हैं। जैसे आठ नए आईआईटी, सात नए आईआईएम, 16 ने केन्द्रीय विवि और दस नए एनआईटी। वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए भी नई संस्थाएं खोली गई हैं। विज्ञान की पढ़ाई में ज्यादा छात्रों को शामिल करने के लिए और विदेश से भारतीय वैज्ञानिकों की वापसी आसान करने के लिए ठोस कदम उठाए गए हैं।

प्रधानमंत्री ने हालांकि कहा कि शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए अभी बहुत कुछ करना बाकी है। बहुत सारे स्कूलों में अभी भी पीने का साफ पानी, शौचालय और अन्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने की जरूरत है। इसके लिए अध्यापकों के प्रशिक्षण पर ज्यादा जोर दिया जाना आवश्यक है। मिड डे मील को लेकर बिहार में हुए हादसे पर उन्होंने कहा, ‘बिहार में पिछले दिनों जो दर्दनाक हादसा हुआ, वह देश में कहीं भी दोबारा नहीं होना चाहिए। मिड डे मील योजना में रोज करीब 11 करोड़ बच्चों को स्कूलों में दोपहर का खाना दिया जा रहा है। यह योजना बच्चों की पढ़ाई और पोषण दोनों के लिए बहुत फायदेमंद है। लेकिन इसे बेहतर तरह से लागू करना भी बहुत जरूरी है।’

सिंह ने कहा कि 2005 में हमने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की शुरूआत की थी। इस मिशन के अच्छे परिणाम सामने आने लगे हैं। देश में मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर दोनों तेजी से घटे हैं। पहले से कहीं अधिक बच्चों का जन्म आज अस्पतालों में होता है। टीकाकरण के प्रतिशत में भी काफी वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि गरीबों को अस्पतालों में इलाज के लिए मुफ्त बीमा सुविधा प्रदान कराने वाली राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना अब साढ़े तीन करोड परिवारों को फायदा पहुंचा रही है। शहरी क्षेत्रों में भी स्वास्थ्य मिशन लागू किया गया है जिससे इन क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार होगा और उनमें सुधार आएगा।

महिलाओं की सुरक्षा के बारे में सिंह ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए उनके खिलाफ अपराधों से संबंधित कानून को मजबूत बनाया गया है। अर्थव्यवस्था के बारे में सिंह ने कहा कि पिछले साल हमारी विकास दर कम होकर पांच प्रतिशत रह गयी। यह बात सच है और हम इस हालत में सुधार की पूरी कोशिश कर रहे हैं लेकिन सिर्फ हमारा देश ही अकेला आर्थिक कठिनाइयों का सामना नहीं कर रहा है बल्कि पूरी विश्व अर्थव्यवस्था के लिए पिछला साल मुश्किल भरा रहा है।

सरकार के काम को ज्यादा संवेदनशील, पारदर्शी और ईमानदार बनाने के लिए उठाये गये महत्वपूर्ण कदमों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आरटीआई कानून के जरिए आम आदमी को सरकारी कामकाज के बारे में पहले से कहीं ज्यादा जानकारी मिल रही है। यह कानून अक्सर गड़बड़ी और भ्रष्टाचार को सामने लाता है और सुधार का रास्ता खोलता है। लोकपाल विधेयक को उन्होंने दूसरा महत्वपूर्ण कदम बताते हुए कहा कि यह कानून हमारी राजनीतिक व्यवस्था को साफ सुथरा बनाने की दिशा में बड़ा कदम होगा।

नौजवानों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि जल्द ही एक नयी योजना शुरू की जाएगी, जिसके तहत उन नौजवानों को लगभग दस हजार रुपये की राशि दी जाएगी, जिन्होंने सफलतापूर्वक नया कौशल हासिल किया है। इस योजना से अगले 12 महीने में करीब 10 लाख नौजवानों को फायदा होगा। लघु वन उत्पाद के लिए खरीद मूल्य निर्धारित करने की स्कीम की चर्चा करते हुए सिंह ने कहा कि इससे आदिवासियों को लघु वन उपज के सही दाम मिलेंगे । इस योजना को जल्द से जल्द लागू किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि आदिवासियों की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति और उनके स्वास्थ्य एवं शिक्षा के स्तर के बारे में सही जानकारी हासिल करने के लिए उच्चस्तरीय समिति बनायी गयी है। समिति की रिपोर्ट से हमें आदिवासियों के लिए बेहतर योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी। भविष्य की बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आजादी के बाद के हर दशक में भारत में बड़े परिवर्तन आए हैं। हमें आज यह सोचना है कि आने वाले दस साल में हम किस तरह का परिवर्तन चाहते हैं। पिछले दस साल में जैसी प्रगति हमने की, यदि हम उसे आगे भी जारी रखें तो वह वक्त दूर नहीं जब भारत को गरीबी, भूख, बीमारी और अशिक्षा से पूर्ण रूप से मुक्ति मिल जाएगी।’ अपने भाषण के समापन में उन्होंने कहा, ‘इसके लिए हम सबको मिलकर देश में राजनीतिक स्थिरता, सामाजिक एकता और सुरक्षा का माहौल बनाना होगा।’

उन्होंने कहा कि शासन को जवाबदेह, पारदर्शी और इमानदार बनाने के लिए संप्रग ने कई महत्वूपर्ण कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून ने 'अनियमितताओं और भ्रष्टाचार' को उजागर करने में मदद की है और उम्मीद है कि यह सरकार के कामकाज में और सुधार लाने में मददगार होगा। उन्होंने कहा कि जब लोकपाल विधेयक कानून की शक्ल लेगा तब वह 'हमारी राजनीतिक प्रणाली के स्वच्छ होने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।' (एजेंसी)

First Published: Thursday, August 15, 2013, 08:52

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