Last Updated: Friday, August 26, 2011, 09:21
नई दिल्ली : टीम अन्ना ने स्पष्ट किया है कि संसद में सिर्फ चर्चा कराने से कुछ नहीं होगा. अन्ना तब तक अपना अनशन वापस नहीं लेंगे, जब तक संसद इस बारे में प्रस्ताव पारित नहीं कर देती कि जिस लोकपाल विधयेक को हरी झंडी दी जाएगी, उसमें अन्ना द्वारा उठाए गए तीन असहमति वाले मुद्दे भी होंगे. टीम अन्ना के सदस्य और जाने-माने वकील प्रशांत भूषण ने माकपा महासचिव प्रकाश करात से बैठक के बाद कहा कि सिर्फ चर्चा कराना पर्याप्त नहीं होगा. उन्होंने कहा कि अन्ना ने साफ कर दिया है कि वह तभी अपना अनशन तोड़ेंगे, जब संसद एक प्रस्ताव पारित करेगी, जिसमें कहा जाएगा या संकेत दिया जाएगा कि पारित होने वाले लोकपाल में ये तीन मुद्दे शामिल होंगे. भूषण ने कहा कि इसलिए हमें यह देखने की जरूरत है कि संसद क्या करती है. केवल चर्चा करने से कोई मतलब नहीं है. हम इस पर पिछले 42 सालों से चर्चा कर रहे हैं और आठ बार इसे संसद में पेश किया जा चुका है.भूषण की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई, जब सरकार ने कहा था कि अन्ना की मांग के मुताबिक, आज लोकसभा में जन लोकपाल विधेयक पर चर्चा संभावित नहीं भी हो सकती. कई खबरों में कहा गया था कि कांग्रेस के कई सांसदों ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस दिया है. यह नोटिस एक ऐसे अनुच्छेद के तहत दिया गया, जिसमें मतदान का प्रावधान नहीं है.सरकारी सूत्रों ने कल कहा था कि लोकपाल विधेयक, जन लोकपाल विधेयक और कार्यकर्ता अरुणा राय एवं जयप्रकाश नारायण की ओर से लाए गए मसौदों पर संयुक्त चर्चा के लिए एक प्रस्ताव लाया जाएगा. भूषण ने कहा कि कई नियम ऐसे हैं, जिनके तहत इन मुद्दों पर चर्चा कराई जा सकती है. उन्होंने कहा कि संसद में हर नियम में एक प्रस्ताव लाकर छूट दी जा सकती है. अगर वे चाहें, तो कर सकते हैं.वहीं रामलीला मैदान में अन्ना समर्थकों को संबोधित करते हुए किरण बेदी ने भी कहा कि जब संसद प्रस्ताव पारित करेगी, जिसमें असहमति वाले सभी मुद्दे शामिल होंगे, तभी अन्ना का अनशन टूटेगा. कोर समिति की अन्य सदस्य मेधा पाटकर ने कहा कि कल तक सब कुछ ठीक चल रहा था पर अब सरकार अपना रुख बदल रही है. उन्होंने कहा कि यह संप्रग सरकार के लिए अच्छा मौका है, पर अगर वह अपनी हत्या खुद करना चाहती है, तो उसे करने दीजिए.उन्होंने सरकार के वार्ताकारों के चयन की भी आलोचना करते हुए कहा कि अन्ना से बातचीत के लिए ऐसे लोगों को चुना जाना चाहिए था, जिनकी छवि बिलकुल साफ हो. उन्होंने कहा कि सरकार को मध्यस्थ के तौर पर साफ छवि वाले लोगों को नियुक्त करना चाहिए था. विधि मंत्री सलमान खुर्शीद ठीक हैं. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण भी ठीक हैं, पर यह नहीं भूलना चाहिए कि केंद्रीय मंत्री विलासराव देशमुख आदर्श घोटाले मामले में आरोपी हैं.
First Published: Friday, August 26, 2011, 18:33