Last Updated: Thursday, September 27, 2012, 20:38

नई दिल्ली: 2जी मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रेसीडेंशियल रेफरेंस के मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के आवंटन का एकमात्र तरीका नीलामी नहीं है। प्रेसीडेंशियल रेफरेंस में अदालत की राय मांगी गई थी कि क्या सभी प्राकृतिक संसाधनों के आवंटन का एकमात्र तरीका नीलामी है।
मुख्य न्यायाधीश एस.एच. कपाड़िया की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने कहा कि जहां राजस्व को अधिक से अधिक बढ़ाने की बात हो, वहां नीलामी एक बेहतर विकल्प हो सकता है, लेकिन प्राकृतिक संसाधनों की नीलामी के अलावा प्रत्येक तरीके को बंद नहीं किया जा सकता है।
न्यायमूर्ति डीके जैन ने कहा, नीलामी को संवैधानिक निर्देश का दर्जा नहीं दिया जा सकता है।
अदालत की राय में कहा गया कि अदालत नीतिगत मामलों में कार्यपालिका की सूझबूझ को नहीं समझ सकता है और यह फैसला नहीं कर सकता है कि प्राकृतिक संसाधनों के आवंटन के लिए कौन सा तरीका सही है। अदालत ने कहा कि उसके पास यह तय करने की विशेषज्ञता नहीं है कि किसी विशेष प्राकृतिक संसाधन का आवंटन किस तरीके से किया जाना चाहिए।
अदालत ने कहा कि सरकार की आर्थिक नीति को तभी रद्द किया जा सकता है, जब उसमें स्वेच्छाचारिता का पता चले।
अदालत ने फरवरी 2012 को दिए गए 2जी फैसले से सम्बंधित तीन सवालों का जवाब नहीं दिया। इस फैसले के तहत अदालत ने 121 2जी लाइसेंस रद्द कर दिया था। रेफरेंस में 12 सवाल पूछे गए थे।
प्रेसीडेंशियल रेफरेंस 12 अप्रैल को दाखिल किया गया था और इस पर 11 मई को सुनवाई शुरू हुई थी।
रेफरेंस 2जी फैसले के बाद दाखिल किया गया था, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि स्पेक्ट्रम जैसे दुर्लभ प्राकृतिक संसाधनों को राज्य द्वारा आवंटन करना हो, तो पारदर्शी सार्वजनिक नीलामी एकमात्र वैध तरीका है।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि पहले आओ, पहले पाओ की नीति दोषपूर्ण है और उसने 122 लाइसेंस रद्द कर दिए थे। (एजेंसी)
First Published: Thursday, September 27, 2012, 14:33