फर्जीवाड़ा मामला: CBI ने टाइटलर की जमानत का किया विरोध

फर्जीवाड़ा मामला: CBI ने टाइटलर की जमानत का किया विरोध

नई दिल्ली : सीबीआई ने आज दिल्ली की एक अदालत में प्रधानमंत्री को भेजे गए कांग्रेस महासचिव अजय माकन के एक पत्र के कथित फर्जीवाड़ा मामले में आरोपी विवादस्पद कारोबारी अभिषेक वर्मा के साथ कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर की जमानत याचिका का विरोध किया है। अपने खिलाफ समन का पालन करते हुए अदालत के समक्ष उपस्थित हुए टाइटलर ने यह कहते हुए जमानत याचिका दायर की है कि उन्हें पूछताछ के लिए हिरासत में लिए जाने की जरूरत नहीं है। विशेष सीबीआई न्यायाधीश वी के गुप्ता ने जमानत याचिका पर दलीलें सुनी और आदेश को सुरक्षित रख लिया। दलीलों के दौरान सीबीआई अभियोजक अतुल शर्मा ने कहा कि टाइटलर ‘काफी प्रभावशाली व्यक्ति’ हैं। वह सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं और गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं।

अभियोजक ने कहा, वह काफी प्रभावशाली व्यक्ति हैं। यहां पर हमारे कुछ गवाह हैं और उन्हें गुमराह किया जा सकता और सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं। इन सब चीजों को देखते हुए हम जमानत याचिका का विरोध करते हैं। तत्कालीन गृह राज्यमंत्री अजय माकन की शिकायत पर सीबीआई की ओर से दाखिल आरोपपत्र को अदालत ने छह सितंबर को संज्ञान लिया था। उन्होंने शिकायत की थी कि 2009 में कारोबारी वीजा नियमों में ढील की मांग करते हुए वर्मा ने उनके लेटरहेड पर प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा था।

सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय के द्वारा कई मामले दर्ज किये जाने के बाद से वर्मा तिहाड़ जेल में है। सुनवाई के दौरान वर्मा और उसकी पत्नी एनका मारिया भी अदालत में उपस्थित हुए। मारिया अभी न्यायिक हिरासत में है। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि एक चीनी दूरसंचार कंपनी से धोखाधड़ी में वर्मा के साथ टाइटलर की ‘सक्रिय मिलीभगत’ रही और कांग्रेस नेता ने कंपनी के अधिकारियों को एक ‘फर्जी और जाली’ पत्र दिखाकर दावा किया कि इसे माकन ने प्रधानमंत्री को लिखा था। टाइटलर की ओर से जमानत याचिका पर दलील देते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दिनेश माथुर ने कहा कि अंतिम समय में कांग्रेस नेता का नाम आरोपपत्र में एक आरोपी के तौर पर शामिल किया गया है और यह गिरफ्तारी का मामला नहीं हो सकता क्योंकि वह अदालत के समक्ष उपस्थित हुए हैं। माथुर ने कहा कि पूछताछ के लिए टाइटलर की आवश्यकता नहीं है क्योंकि आरोपपत्र दाखिल किया जा चुका है। उन्होंने कहा, उन्हें (टाइटलर) हिरासत में लिये जाने की जरूरत नहीं है। वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 (फर्जीवाड़ा) के तहत मामला नहीं बनता।

बहरहाल, वर्मा के वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि सीबीआई के आरोपपत्र के हिसाब से टाइटलर ने ही कथित तौर पर फर्जी पत्र चीनी दूरसंचार कंपनी के अधिकारियों को दिखाया था। सिंह ने कहा कि हम उस कार्यशाली का हिस्सा नहीं बनना चाहते जिसमें मनमाने तरीके काम हो। हम पहले दिन से ही नुकसान झेल रहे हैं। साथ ही, सिंह ने कहा कि वर्मा और उनकी पत्नी एनका पिछले साल से जेल में है। मामले में सीबीआई ने एनका के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल नहीं किया है। माथुर ने अदालत से कहा कि ऐसा लगता है कि वर्मा के वकील टाइटलर की याचिका का विरोध कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, जमानत याचिका दाखिल करने से आपको (वर्मा) कौन वंचित कर रहा है। इस पर सिंह ने कहा कि वर्मा और उसकी पत्नी अभी भी न्यायिक हिरासत में हैं और सीबीआई के मुताबिक कथित फर्जी पत्र टाइटलर ने दिखाए थे, वर्मा ने नहीं। सिंह ने कहा, यहां तक की जांच के दौरान टाइटलर को हाथ तक नहीं लगाया गया और मैं एक गरीब आदमी हूं इसलिए मैं भुगत रहा हूं। मेरे साथ अलग रवैया अपनाया गया। हालांकि, सीबीआई अभियोजक ने टाइटलर की याचिका का विरोध किया और कहा कि अगर उनकी जमानत याचिका मंजूर की जाती है तो ‘अपूरणीय क्षति’ होगी। सुनवाई के दौरान सीबीआई ने आरोपपत्र और अन्य दस्तावेजों की एक प्रति टाइटलर के वकील को उपलब्ध कराया।

सीबीआई ने अपने आरोप पत्र में कहा है, जांच से पता चलता है कि जगदीश टाइटलर ने जानबूझकर और सक्रियता से अभिषेक वर्मा के साथ मिलीभगत कर मेसर्स जेडटीई टेलीकॉम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को ठगने की कोशिश की। टाइटलर और वर्मा पर वीजा नियमों के मुद्दे पर चीनी कंपनी से फजीवाड़े की कथित कोशिश का आरोप है।

एजेंसी ने कहा है, यह स्पष्ट है कि अभिषेक वर्मा को अच्छी तरह जानने वाले जगदीश टाइटलर जेडटीई से ठगी की कोशिश मामले में एक पक्ष हैं। उन्होंने (टाइटलर) जेडटीई के अधिकारियों को आवास पर पहली बार फर्जी पत्र दिखाया और उनकी मौजूदगी में अभिषेक वर्मा ने कथित सौदे के लिए एक करार पर जेडटीई के साथ चर्चा की। आईपीसी के तहत ठगी के प्रयास और भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के प्रावधानों के तहत टाइटलर और वर्मा पर आरोपपत्र दाखिल किया गया है। (एजेंसी)

First Published: Monday, September 30, 2013, 14:54

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