Last Updated: Tuesday, November 22, 2011, 08:02
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने एक ‘फर्जी’ रक्षा सौदे में कथित तौर पर अज्ञात लोगों से एक लाख रुपए लेकर उन्हें फायदा पहुंचाने के मामले में पूर्व भाजपा अध्यक्ष बंगारु लक्ष्मण के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही निरस्त करने से मंगलवार को इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति ए.के. गांगुली की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने इस मामले में चल रही निचली अदालत की कार्यवाही में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि वह इस मामले की पात्रता पर अपनी कोई राय नहीं दे रहा है और इसका फैसला जांच अदालत करेगी।
गौरतलब है कि 72 वर्षीय बंगारु लक्ष्मण ने दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से कार्यवाही निरस्त करने से इनकार करने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। यह मामला वर्ष 2001 में तहलका न्यूज पोर्टल की ओर से किए गए एक स्टिंग ऑपरेशन से जुड़ा है। इस स्टिंग में लक्ष्मण को हथियारों के सौदागरों के तौर पर उनसे मिले पत्रकारों से रक्षा मंत्रालय की ओर से की जाने वाली सेना के हथियारों की खरीद में उनके हथियारों की सिफारिश करने के लिए धन लेते हुए दिखाया गया। इस पोर्टल ने 13 मई 2001 को स्टिंग ऑपरेशन का वीडियो जारी किया था।
सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है और बंगारु ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा है कि सीबीआई की विशेष अदालत ने गलत तथ्यों के आधार पर मामले में संज्ञान लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि सीबीआई ने ‘राजनीतिक उद्देश्य’ के तहत पूरे मामले में पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें फंसाने के लिए सीबीआई ने विशेष अदालत में याचिका दायर की और उनके पूर्व निजी सचिव गुरुमूर्ति को उनके खिलाफ गवाही देने के लिए माफी दिला दी।
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, November 22, 2011, 13:33