Last Updated: Thursday, March 1, 2012, 12:02

नई दिल्ली : विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने गुरुवार को कहा कि भारत प्रवासी भारतीय बच्चों के संरक्षण के मुद्दे में प्रगति पर गहरी निगाह रख रहा है। विदेश मंत्रालय के सचिव (पश्चिम) मधुसूदन गणपति से इस सिलसिले में रिपोर्ट पा चुके कृष्णा ने कहा कि सरकार की पूरी कोशिश बच्चों को वापस लाने की है लेकिन चूंकि मामले में न्यायिक कार्यवाही जारी है, कोई भी कोशिश 23 मार्च के बाद ही की जा सकती है जब मामले की सुनवाई होगी।
विदेश मंत्री ने कहा कि गणपति ने उन्हें बताया कि उन्होंने नार्वे के विदेश मंत्री समेत संबंधित कई वरिष्ठ मंत्रियों से मुलाकात की। चूंकि मामला अदालत में है, कार्यपालिका इस मामले में ज्यादा कुछ नहीं कर सकती। कृष्णा ने कहा कि बहरहाल उनका मंत्रालय मामले पर गहरी निगाह रखे है और अगर जरूरी हुआ तो वह उच्च स्तरीय अधिकारियों को फिर भेजेंगे।
उल्लेखनीय है कि नार्वे में रह रहे प्रवासी भारतीय दंपति अनुरूप और सगारिका भट्टाचार्य के बच्चे - अभिज्ञान (1 साल) और एश्वर्या (3) को बारनेवारने नार्वेजियन सीडल्ब्यूएस पिछले साल भावनात्मक विलगाव के आधार पर परिवार से उठा ले गए और बाल संरक्षण गृह में भेज दिया था। भारत के जबरदस्त कूटनीतिक दबाव के बाद नार्वेजियाई बाल कल्याण सेवा ने दोनों बच्चों का संरक्षण पिता के भाई को देने का फैसला किया ताकि वह उसे भारत ला सके। उधर नार्वेजियाई दूतावास के बाहर पत्रकारों से बातें करते हुए गणपति ने बताया नार्वे के अधिकारी दो बच्चों को अपने चाचा के संरक्षण में देने के लिए तैयार हो गए हैं।
उन्होंने कहा, मैं ने विदेशी मामलों और बाल मामलों के मंत्रियों से मुलाकात की। उन्होंने बच्चों के चाचा पर किए गए मूल्यांकन पर सिफारिश की है। वह बच्चों का पालन-पोषण करने में सक्षम होने के लिए योग्य होंगे और वह 23 मार्च को अदालत में अपील करेंगे कि वह बाल संरक्षण गृह में बच्चों को रखने के अपने पहले के फैसले को निरस्त करे। गणपति ने कहा कि चाचा बच्चों को भारत लाने की स्थिति में होंगे और उन्हें एक ऐसे माहौल में पलने का मौका देंगे जो उनका प्राकृतिक है। (एजेंसी)
First Published: Thursday, March 1, 2012, 17:32