‘बनने’ का नहीं ‘करने’ का सपना देखना चाहिएः मोदी

‘बनने’ का नहीं ‘करने’ का सपना देखना चाहिएः मोदी

 ‘बनने’ का नहीं ‘करने’ का सपना देखना चाहिएः मोदीनई दिल्ली : गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बनने की इच्छा पर किए गए सवालों से आज किनारा करते नजर आए और कहा कि उन्होंने कभी मुख्यमंत्री बनने का सपना भी नहीं देखा था। यह पूछने पर कि क्या वह प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं, मोदी ने कहा, ‘‘मैंने जीवन में कुछ बनने का सपना कभी नहीं देखा। मैंने हमेशा कुछ करने की कोशिश की। ज्यादातर लोग कुछ बनने का सपना देखते हुए मर जाते हैं। मैं इस पर कभी नहीं चला।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब तक मैं मुख्यमंत्री नहीं बना था मैंने वहां पहुंचने का सपना नहीं देखा था। मैं कभी किसी ज्योतिषी से भी नहीं मिला जिसने मुझे कहा हो कि मैं मुख्यमंत्री बनूंग ।’’ उन्होंने जोर देते हुए कहा कि किसी को ‘बनने’ का नहीं ‘करने’ का सपना देखना चाहिए। मोदी ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यदि गुजरात मॉडल बेहतर है तो उसे पूरे देश में लागू किया जा सकता है। मुझे वहां आने की जरूरत नहीं है।’’

नरेन्द्र मोदी ने कहा कि लोग उदाहरणों से सीखना और सफलता हासिल करना चाहते हैं और उनके लिए दिल्ली आना आवश्यक था, ताकि सफलता के गुजरात मॉडल को केंद्र में दोहराया जा सके। जब पूछा गया कि भाजपा में कौन उन्हें दिल्ली आने से रोक रहा है तो उन्होंने व्यंग्यात्मक अंदाज में जवाब दिया, ‘‘मैं दिल्ली में बैठा हूं। यदि किसी ने मुझे रोका होता तो मैं यहां कैसे बैठा होता।’’ तीसरी बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने मोदी से जब पूछा गया कि आगामी आम चुनाव के लिए भाजपा किसे प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर सामने ला रही है? उन्होंने कहा कि लोगों को यह जानकर खुशी होनी चाहिए कि पार्टी लोकतांत्रिक तरीके से चलायी जाती है जहां निर्णय लोकतांत्रिक तरीके से उसकी संसदीय समिति द्वारा लिए जाते हैं ‘‘किसी एक परिवार के आधार पर नहीं।’’ उन्होंने नेहरू-गांधी परिवार पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधते हुए यह बात कही।

भारत के पुनरुत्थान की अपनी योजना के हिस्से के तौर पर मोदी ने कहा कि भ्रष्टाचार को समाप्त करना और सुशासन उनके मंत्र हैं और ये देश को बदल सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी भ्रष्टाचार को हटाने में मदद कर सकती है। मोदी ने यह भी कहा कि कार्यकाल में स्थिरता ही सुशासन की सफलता है। मोदी ने करीब आधे घंटे के अपने भाषण में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर उनकी कथित निष्क्रियता और चुप रहने के कारण हमला बोला। उन्होंने परोक्ष रूप से कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, ‘‘देश को अधिनियमों की जरूरत नहीं है, उसे कार्रवाई की जरूरत है।’’

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के संबंध में किसी भी सवाल का जवाब देने से इंकार करते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय ने इस मुद्दे पर अपने विचार जाहिर कर दिए हैं और लोगों ने भी। फिर से पूछने पर कि क्या अपने शासन काल में हुए दंगों पर दुख व्यक्त करेंगे तो मोदी ने कहा कि वह इस मुद्दे पर काफी बोल चुके हैं और अब उन्हें इस विषय पर नहीं बोलना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे जो कहना था मैं कह चुका। आप रेकार्ड देख सकते हैं। यदि मैं इस मुद्दे पर ना बोलूं तो भी चलेगा। मैं डरता नहीं हूं। वरना मैं यहां नहीं आता। मैंने आपकी बहुत सारी युक्तियां देखी हैं फिर भी मैं यहां आया।’’ उन्हें विभाजक व्यक्तित्व के रूप में देखा जा रहा है, इस मुद्दे पर टिप्पणी करने को कहने पर मोदी ने कहा कि उन्हें इस संबंध में कोई अनुभव नहीं है क्योंकि वे अपना काम करने में लगे हुए हैं।

मोदी ने कहा, ‘‘मेरा काम मेरा ‘यूएसपी’ है। मुझे इसे आगे लेकर जाना है। मुझे नहीं लगता कि मुझमें कुछ गलत है जिसे बदलने की जरूरत है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि अगर लोगों को लगता है कि उन्हें बदलने की जरूरत है तो वे उनकी सलाह पाने को इच्छुक हैं। मोदी ने कहा, ‘‘यदि मेरे काम करने के तरीके में कोई कमी है। यदि मुझे महसूस हुआ कि ऐसा कुछ है यह कोई मुझे बताता है, तो मैं बदलूंगा क्योंकि मुझे लोगों के लिए काम करना है। मुझे उन्हें साथ लेकर चलना है। लेकिन मुझे नहीं लगता है कि मेरे ‘यूएसपी’ में कुछ गलत है जिसे बदलने की जरूरत है।’’ (एजेंसी)

First Published: Sunday, March 17, 2013, 09:02

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