Last Updated: Thursday, July 5, 2012, 17:29

नई दिल्ली: एक और पुस्तक में आरोप लगाया गया है कि बाबरी मस्जिद गिराए जाने में पीवी नरसिम्हा राव की मौन सहमति थी। किताब में दावा किया गया है, कि जब कारसेवकों ने मस्जिद को गिराना शुरू किया, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री पूजा पर बैठे और वह मस्जिद के पूरी तरह से गिर जाने के बाद ही पूजा से उठे।
जाने माने पत्रकार कुलदीप नैयर ने अपनी पुस्तक बियांड दि लाइंस में छह दिसंबर 1992 की घटना का जिक्र किया है। रोली बुक्स इस पुस्तक का प्रकाशन कर रहा है। यह पुस्तक जल्द जारी की जाएगी।
नैयर ने लिखा है कि मेरी सूचना थी कि मस्जिद गिराए जाने में राव की मौन सहमति थी। जब कारसेवकों ने मस्जिद गिराना शुरू किया तो वह पूजा पर बैठ गए और जब आखिरी पत्थर भी हटा दिया गया तभी वह पूजा से उठे।
किताब में एक अध्याय नरसिम्हा राव सरकार पर भी है। इसमें कहा गया है कि मधु लिमये (दिवंगत समाजवादी नेता) ने बाद में मुझे बताया था कि पूजा के दौरान राव के सहयोगी ने उनके कान में कहा कि मस्जिद गिरा दी गई है। इसके कुछ क्षण बाद ही पूजा समाप्त हो गई। दिवंगत नरसिम्हा राव के पुत्र पीपी रंगा राव ने इस दावे को पूरी तरह से खारिज करते हुए इसे अविश्वसनीय और अपुष्ट करार दिया।
रंगा राव ने अफसोस जताया कि नैयर जैसे पत्रकार ऐसी बातें लिख सकते हैं। उन्होंने कहा कि निहित स्वार्थ के कारण उनके पिता के खिलाफ विषवमन किया जा रहा है, जबकि वह अपना बचाव करने के लिए जीवित नहीं हैं।
नैयर ने लिखा है कि मस्जिद गिराए जाने के बाद जब दंगे भड़क गए तो राव ने कुछ वरिष्ठ पत्रकारों को अपने घर पर बुलाया था। वह दुखी मन से बता रहे थे कि किस प्रकार उनकी सरकार ने मस्जिद को बचाने के लिए हर प्रयास किया, लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने विश्वासघात किया।
उन्होंने लिखा है कि बाबरी मस्जिद गिराए जाने के लिए राव की सरकार को हमेशा जिम्मेदार ठहराया जाएगा। दिलचस्प बात है कि उन्हें ऐसी घटना की आशंका थी लेकिन उन्होंने इसे टालने के लिए वस्तुत: कोई कदम नहीं उठाया।
उस समय कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश सरकार के मुखिया थे। उनके बयानों से संकेत मिलता था कि मस्जिद की सुरक्षा का उनका कोई इरादा नहीं है। हालांकि उच्चतम न्यायालय ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था और उनकी सरकार ने वचन दिया था कि वह ऐसा करेगी।
नैयर के अनुसार कांग्रेस खेमे में खलबली थी, लेकिन यह मस्जिद गिराए जाने को लेकर नहीं थी बल्कि इसका कारण आंतरिक कलह था। सोनिया गांधी नरसिम्हा राव को पसंद नहीं करती थीं, खासकर जब राव ने कांग्रेस पार्टी और सरकार दोनों का नेतृत्व संभाल लिया। (एजेंसी)
First Published: Thursday, July 5, 2012, 17:29