Last Updated: Friday, June 14, 2013, 09:46
ज़ी मीडिया ब्यूरोनई दिल्ली/पटना : गुजरत के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को गोवा अधिवेशन में भाजपा की चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद एनडीए में सियासत गरमा गई है। नीतीश कुमार के अलग होने के संकेत के बाद बिहार भाजपा भी अब जेडीयू से अलग होने की तैयारी कर ली है। दूसरी तरफ बिहार के मुख्यमंत्री व जनता दल यू नेता नीतीश कुमार ने एनडीए को बचाए रखने की गेंद अब भाजपा के पाले में डाल दी है। गुरुवार दिन भर की कवायद में भाजपा का कोई भी नेता उन्हें इसका विश्वास नहीं दिला पाया कि नरेंद्र मोदी पार्टी के पीएम उम्मीदवार नहीं होंगे। यहां तक कि बिहार सरकार में भाजपा के मंत्रियों ने कामकाज करना भी छोड़ दिया। इस हाल में अब गठबंधन टूटने का ठींकरा नीतीश के बजाय भाजपा पर ही फूटेगा कि वह सहयोगी को साथ रख पाने में नाकाम रही है।
सूत्रों की मानें तो नीतीश ने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से कहा कि गोवा में चुनाव प्रचार समिति को लेकर किया फैसला भाजपा का अंदरूनी मामला है। फिर भी भाजपा मोदी को लेकर ऐसे बयान दे रही है जैसे उन्हें बतौर पीएम प्रोजेक्ट किया जाएगा। ऐसे में नीतीश ने भाजपा नेताओं से कहा कि वे मोदी की पीएम उम्मीदवारी को लेकर स्थिति स्पष्ट करें। सूत्रों के मुताबिक भाजपा के साथ गठबंधन मुद्दे पर फैसला करने के लिए जदयू के सभी विधायकों की 15 जून को पटना में बैठक प्रस्तावित है। इस बीच नीतीश ने भाजपा को बिना बताए बीते मंगलवार रात पांच निर्दलीय विधायकों को अपने निवास पर दावत के बहाने साथ जोड़ बहुमत का जुगाड़ कर लिया।
इधर पूर्व भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी व उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी गुरुवार को जदयू अध्यक्ष शरद यादव से मिले। सूत्रों के मुताबिक जेडीयू चाहता है कि भाजपा किसी सेक्युलर छवि वाले को पीएम का उम्मीदवार घोषित करे। उसने भाजपा से आश्वासन मांगा। किन्तु मामला सिफर रहा। इससे पहले लालकृष्ण आडवाणी, राजनाथ सिंह और मुरली मनोहर जोशी सरीखे नेता नीतीश से बात कर चुके हैं। शरद ने कहा कि खराब शक्ल ले चुके हालात को दुरुस्त करने की कोशिश की जा रही है। एनडीए का अभी अस्तित्व है।
First Published: Friday, June 14, 2013, 09:46