Last Updated: Wednesday, August 22, 2012, 15:32

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व में विपक्ष ने कोयला ब्लॉक आवंटन में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रपट पर बुधवार को भी संसद के दोनों सदनों में जबरदस्त हंगामा किया और प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग की। विपक्ष के हंगामे के कारण संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित हुई। पहले सदन को 12 बजे फिर दोपहर दो बजे और उसके बाद दिनभर के लिए स्थगित कर दिया गया।
सीएजी की रपट पर संसद के दोनों सदनों- लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही कई बार बाधित हुई, जिसमें कहा गया है कि निजी कम्पनियों को कोयला ब्लॉक आवंटन में पारदर्शिता नहीं बरती गई, जिसके कारण सरकारी खजाने को 1.85 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
रपट में प्रत्यक्ष तौर पर प्रधानमंत्री या उनके कार्यालय को दोषी नहीं ठहराया गया है, लेकिन जुलाई 2004 से मई 2009 की अवधि में, जब इन खनन ब्लॉक्स का आवंटन किया गया था, उस समय कोयला मंत्रालय का प्रभार प्रधानमंत्री के पास था।
विपक्ष के हंगामे के कारण संसद के दोनों सदनों में प्रश्नकाल नहीं चल सका। लोकसभा की कार्यवाही 11 बजे शुरू होते ही दोपहर 12 बजे तक स्थगित कर दी गई। राज्यसभा की कार्यवाही भी दोपहर 12 बजे तक दो बार स्थगित हुई।
दोपहर कार्यवाही शुरू होने के बाद भी यही स्थिति रही। प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग करते हुए भाजपा के सदस्य अध्यक्ष के आसन के समक्ष पहुंच गए। हंगामे को देखते हुए दोनों सदनों की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने कोयला ब्लॉक के आंवटन का बचाव करते हुए कहा, "सरकार की ओर से कोई गलती नहीं की गई। कोयला ब्लॉक का आवंटन राष्ट्रीय हित व देश के विकास के लिए किया गया।"
भाजपा नेता अरुण जेटली ने कहा, "दिसम्बर 2010 में संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान यदि हमने दबाव नहीं बनाया होता तो ए. राजा (तत्कालीन केंद्रीय संचार मंत्री) ने इस्तीफा नहीं दिया होता, संसद में हमारे दबाव ने 2जी घोटाले में काम किया और हमें उम्मीद है कि यह अब भी काम करेगा।" (एजेंसी)
First Published: Wednesday, August 22, 2012, 15:32