बीजेपी में घमासान, संजय जोशी ने दिया इस्तीफा, मोदी पर निशाना

बीजेपी में घमासान, संजय जोशी ने दिया इस्तीफा

बीजेपी में घमासान, संजय जोशी ने दिया इस्तीफाज़ी न्यूज ब्यूरो/एजेंसी

नई दिल्ली : भाजपा में बढ़ते अंतर्कलह की पुष्टि करते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के दबाव में उनके धुर प्रतिद्वन्द्वी संजय जोशी को शुक्रवार को पार्टी छोड़नी पड़ी। भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावडे़कर ने यहां कहा कि जोशी ने भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी से उन्हें पार्टी से मुक्त करने का आग्रह किया था। उनके आग्रह को अध्यक्ष ने स्वीकार कर लिया है।

वहीं, संजय जोशी ने कहा कि मैंने सिर्फ जिम्‍मेदारी छोड़ी है, अभी पार्टी की प्राथमिक सदस्‍यता से इस्‍तीफा नहीं दिया है।

भाजपा ने कहा है कि पूर्व संगठन महामंत्री संजय जोशी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। पार्टी ने हालांकि इसका कोई कारण नहीं बताया है। उधर, दूसरी ओर संजय जोशी के करीबियों का कहना है कि उन्होंने पार्टी से इस्तीफा नहीं दिया है बल्कि सभी दायित्वों से आजाद करने का पार्टी अध्यक्ष से आग्रह किया था। जोशी को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले वहां की कमान सौंपी गई थी। जावडेकर से बार-बार जब यह पूछा गया कि संजय जोशी ने आखिरकार इस्तीफा क्यों दिया तो उन्होंने इसका कोई जवाब नहीं दिया।

वहीं,जोशी के नजदीकी सूत्रों का हालांकि दावा है कि जोशी ने केवल पार्टी के कार्यों को वापस लिए जाने का आग्रह किया था न कि भाजपा की सदस्यता समाप्त करने का। जावडे़कर ने जोशी के इस्तीफे के कारणों के बारे में हालांकि किसी भी सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया। उल्लेखनीय है कि एक पखवाड़े पहले मोदी की मांग के आगे झुकते हुए गडकरी ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्यता से जोशी का इस्तीफा लिया था।

मोदी के दबाव में जोशी को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हटाए जाने को लेकर संघ और भाजपा दोनों में विभाजन पहले ही सार्वजनिक हो चुका है। इसके बाद से संघ और भाजपा के मुखपत्रों में मोदी की खिलाफत और हिमायत वाले दोनों में लेख छप रहे हैं। भाजपा के मुखपत्र कमल संदेश और संघ के मुखपत्र पांचजन्य में जहां मोदी के रवैये की आलोचना की गई वहीं संघ के अंग्रेजी मुखपत्र आर्गेनाइज़र में मोदी का पक्ष लिया गया है। मामला यहीं समाप्त नहीं हुआ। दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय तथा अहमदाबाद में मोदी की आलोचना और जोशी के समर्थन वाले पोस्टर निकले।

सूत्रों के मुताबिक जोशी से नाराज गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें पार्टी से निकाल बाहर करने के लिए गडकरी पर दबाव बनाया था। उन्होंने यह भी कहा था कि यदि उन्होंने जोशी को बाहर नहीं निकाला तो वह स्वयं पार्टी और मुख्यमंत्री का पद छोड़ देंगे।

सूत्रों का कहना है कि इसके बाद गडकरी ने जोशी पर पार्टी छोड़ने का दबाव बनाया लेकिन जोशी ने ऐसा करने से साफ इंकार कर दिया। जोशी हालांकि उत्तर प्रदेश का प्रभार छोड़ने को तैयार थे और उन्होंने इस सम्बंध में उन्हें पत्र लिखकर दायित्वों से मुक्त किए जाने का आग्रह भी किया।

गडकरी के समक्ष दुविधा थी कि मोदी जोशी के इस्तीफे से कम पर मानने को तैयार नहीं थे और जोशी पार्टी छोड़ने को तैयार नहीं थे। अंतत: मोदी के दबाव के आगे झुकते हुए गडकरी ने घोषणा करवा दी कि जोशी ने पार्टी छोड़ने का आग्रह किया था, जिसे स्वीकार कर लिया गया है।

जोशी खेमे का अभी भी यही कहना है कि संजय जोशी ने पार्टी नहीं छोड़ी है बल्कि पार्टी की ओर से दिए गए दायित्व से खुद को अलग करने का आग्रह किया था।

जोशी और मोदी के बीच तनाव की खबरें पिछले कुछ दिनों से सुर्खियों में हैं। पिछले महीने मुम्बई में हुई भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मोदी तभी शामिल हुए, जब जोशी ने कार्यकारिणी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।

मोदी के इस रवैये की पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने दबी जुबान में निंदा भी की। पिछले दिनों दिल्ली में भाजपा कार्यालय और पार्टी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी के आवास के साथ-साथ अहमदाबाद और अन्य शहरों में भी जोशी की बड़ी सी तस्वीर के साथ पोस्टर चिपकाए गए थे, जिसमें मोदी का नाम लिए बगैर लिखा था कि किसी एक व्यक्ति की तानाशाही नहीं चलेगी। स्पष्ट तौर पर इशारा मोदी की ओर था।

मोदी के इस रवैये की आलोचना भाजपा के मुखपत्र 'कमल संदेश' में भी की गई। वहीं, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) ने जोशी की तारीफ कर मोदी को झटका दिया। आरएसएस के समाचार पत्र 'पाञ्चजन्य' में भी मोदी की आलोचना की गई। यही नहीं 'पाञ्चजन्य' में तो कई मुख्यमंत्रियों और केंद्रीय नेताओं को प्रधानमंत्री पद का दावेदार बताया गया। इसके बाद मराठी दैनिक तरूण भारत में तो संजय जोशी को पंडित दीन दयाल उपाध्याय और अटल बिहारी वाजपेयी की अगली कड़ी तक बताया गया।

मामला यही नहीं थमा। मोदी के रवैये से भाजपा शसित प्रदेशों में भी नाराजगी जताई गई। छत्तीसगढ़ में भाजपा के मुखपत्र के सम्पादक ने तो अखबारों और ब्लॉगों के जरिए रमन सिंह को मोदी के मुकाबले मजबूत उम्मीदवार बताया तो बिहार के उप मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने भी नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी में किसी व्यक्ति का आधिपत्य नहीं हो सकता और न ही किसी की तानाशाही स्वीकार नहीं की जा सकती है। उनके मुताबिक पार्टी बड़ी होती है न कि कोई व्यक्ति। सुशील मोदी ने यह बात अंग्रेजी के एक समाचार पत्र को दिए साक्षात्कार में कही। उन्होंने हालांकि स्पष्ट तौर पर नरेंद्र मोदी का नाम नहीं लिया।

जोशी को उत्तर प्रदेश का प्रभार सौंपे जाने से भी मोदी नाराज थे और इसलिए वह उत्तर प्रदेश में हाल ही में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी के प्रचार के लिए वहां नहीं गए। किसी जमाने में एक साथ काम करने वाले मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे तो उन्हें संजय जोशी का ही समर्थन मिला था लेकिन वही मोदी उस संजय जोशी को प्रधानमंत्री बनने की राह में सबसे बड़ा रोड़ा मान रहे हैं।

First Published: Saturday, June 9, 2012, 00:13

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