Last Updated: Saturday, February 25, 2012, 12:00
कोच्चि : केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने शनिवार को कहा कि उन्होंने बीटी बैंगन के वाणिज्यिक इस्तेमाल पर रोक लगाने का फैसला किसी गैर सरकारी संगठन के प्रभाव में आकर नहीं किया था। उन्होंने कहा कि खाद्य फसलों के लिए जैव प्रौद्योगिकी के प्रयोग का सावधानी से मूल्यांकन करने की जरूरत है।
रमेश ने पत्रकारों से कहा कि उन्होंने यह फैसला इस मुद्दे से जुड़े लोगों से सलाह मशविरा करने के बाद लिया था। उन्होंने कहा, 'किसी भी गैर सरकारी संगठन से प्रभावित होकर मैंने यह निर्णय नहीं लिया था।' फरवरी 2010 में बीटी बैंगन के वाणिज्यिक इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई थी।
रमेश का यह बयान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के एक विज्ञान पत्रिका को दिए गए साक्षात्कार के बाद आया है, जिसमें उन्होंने देश में हो रहे जीन प्रौद्योगिकी एवं इससे जुड़े शोधों के गैर सरकारी संगठनों द्वारा किए जा रहे विरोध की बात कही थी। रमेश ने कहा कि प्रतिबंध लगाने का फैसला सात महीनों तक राज्यों, किसानों, गैर सरकारी संगठनों एवं इससे जुड़े विभिन्न लोगों से चर्चा करने के बाद लिया गया। उन्होंने कहा कि बीटी बैंगन के विषय में वैज्ञानिक समुदाय एकमत नहीं है और इसका पूरा परीक्षण पूरी तरह से नहीं हुआ है।
(एजेंसी)
First Published: Saturday, February 25, 2012, 20:14