'बीवी होने पर दूसरी शादी न करें मुसलमान' - Zee News हिंदी

'बीवी होने पर दूसरी शादी न करें मुसलमान'

 

सहारनपुर : देश की प्रमुख इस्लामी शिक्षण संस्था दारुल उलूम देवबंद ने भारतीय मुसलमानों से कहा है कि एक बीबी के जिंदा होने की स्थिति में वे दूसरी शादी नहीं करें क्योंकि ऐसा करने से दोनों बीवियों के साथ नाइंसाफी होगी।

 

पहली पत्नी के जिंदा रहते दूसरी शादी करने की इच्छा जताने वाले एक व्यक्ति के सवाल पर देवबंद की ओर से दिए गए फतवे में कहा गया है,  शरीयत एक साथ दो पत्नियों की इजाजत देता है, लेकिन भारतीय परंपरा में इसकी इजाजत नहीं है।

 

दारूल उलूम ने कहा, दो बीवियां होने की स्थिति में व्यक्ति दोनों के साथ जिम्मेदारियों के लिहाज से इंसाफ नहीं कर पाता। इस वजह से पहली बीवी के होते हुए दूसरी शादी करने का खयाल मन से निकाल देना चाहिए। दूसरी शादी के सवाल में शख्स का कहना था, अपने कॉलेज के समय से मैं एक युवती से प्रेम करता था। लेकिन उसकी शादी नहीं हो सकी थी। अब हम फिर से संपर्क में आए हैं और निकाह करना चाहते हैं। मेरी बीवी एवं दो बच्चे हैं और ऐसी स्थिति में दूसरी शादी जायज रहेगी?

 

उत्तर प्रदेश इमाम संगठन के प्रमुख मुफ्ती जुल्फिकार ने कहा कि इस्लाम पति की ओर से बराबरी का दर्जा दिए जाने की शर्त पर दूसरी शादी की इजाजत तो देता है, लेकिन दोनों महिलाओं के साथ बराबरी का सलूक कर पाना मुश्किल है।

 

दारूल उलूम देवबंद से एक व्यक्ति ने यह भी सवाल किया कि उसकी पत्नी और मां के बीच नहीं बनती एवं बीवी सास-ससुर के साथ रहने को तैयार नहीं है, ऐसी स्थिति में उसे क्या करना चाहिए? इसके जवाब में कहा गया है, ऐसी स्थिति में इस्लाम बीवी को तलाक देने अथवा उसे खुद से अलग करने की इजाजत नहीं देता। मां-बाप की नाफरमानी करना भी गलत है।

 

आपको बीवी के लिए दूसरा घर लेना चाहिए और साथ ही अपने मां-बाप की देखभाल करनी चाहिए। इस इस्लामी शिक्षण संस्था का कहना है कि पत्नी का हक अदा करने के साथ ही मां-बाप की देखभाल करना हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है और दोनों जिम्मेदारियों को निभाने की कोशिश करनी चाहिए।  (एजेंसी)

First Published: Thursday, April 12, 2012, 21:20

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