Last Updated: Tuesday, May 7, 2013, 18:37
बेंगलूरु : अच्छी शासन प्रणाली और बेहतर नेतृत्व के कारण दक्षिण राज्य उत्तरी राज्यों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं ससे दक्षिण और उत्तरी राज्यों के बीच प्रति व्यक्ति आय और गरीबी का फासला बढ़ रहा है।
पब्लिक अफेयर्स सेंटर के अध्ययन के मुताबिक दक्षिण राज्यों (तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और केरल) की प्रतिव्यक्ति आय और गरीबी हाल वषरें में बढ़ी है और इसकी वजह है बेहतर शासन प्रणाली, बेहतर नेतृत्व और राजनीतिक स्थिरता।
वित्त वर्ष 2009-10 में दक्षिण राज्यों में प्रतिव्यक्ति आय (1993-94 के मूल्य के आधार पर) 19,531 रुपए थी जो उत्तरी राज्यों (बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड और छत्तीसगढ़) में सिर्फ 8,951 रुपए थी।
वित्त वर्ष 2009-10 में दक्षिणी राज्यों में औसत गरीबी दर (ग्रामीण और शहरी) 19 फीसद थी जो उत्तरी राज्यों में 38 फीसद थी।
रपट में कहा गया कि 50 साल पहले तस्वीर अलग थी। दक्षिणी राज्यों में 1960 के दौर में ग्रामीण गरीबी दर 66 फीसद थी जबकि हिंदी भाषी क्षेत्रों में यह 55 फीसद थी। दक्षिण के नौजवान उत्तर भारत के शहरों में रोजगार के लिए आते थे।
रपट के मुताबिक फिलहाल दक्षिण भारतीयों का उत्तरी राज्यों में आना कम हुआ है जबकि उत्तरी भारत के निवासी काम की तलाश में भारी संख्या में दक्षिण की ओर रुख कर रहे हैं। पीएसी की रपट के मुताबिक विभिन्न कारणों से आधी सदी में यह तस्वीर बदल गई।
स्वतंत्रता से अब तक दक्षिणी राज्यों में साक्षरता, शिशु मृत्यु दर, जीवन प्रत्याशा, प्रजनन दर और अन्य कारणों से उत्पादकता बढ़ी। पीएसी गैर सरकारी संगठन है जो भारत में शासन प्रणाली की गुणवत्ता में सुधार के लिए काम करता है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, May 7, 2013, 18:37