Last Updated: Wednesday, April 25, 2012, 05:06
ज़ी न्यूज ब्यूरो/एजेंसीनई दिल्ली: बोफोर्स घोटाले का जिन्न एक बार फिर बाहर निकल आया है। बोफोर्स तोप घोटाले में एक नया खुलासा हुआ है। बोफोर्स तोप सौदे में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का कोई हाथ नहीं था। इस बात का खुलासा स्वीडन के पूर्व पुलिस चीफ स्टेन लिंडस्ट्रॉर्म ने किया है। बोफोर्स घोटाले का पर्दाफाश करने वाले व्हिसल ब्लोअर का कहना है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के इस सौदे में रिश्वत लेने के सबूत नहीं हैं।
स्वीडन के पूर्व पुलिस प्रमुख और इस मामले की जांच से जुड़े रहे स्टेन लिंडस्ट्रोम ने यह कहकर कांग्रेस को राहत दी है कि पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत राजीव गांधी के खिलाफ रिश्वत लेने के साक्ष्य नहीं हैं। लेकिन यह कहकर उन्होंने कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं कि राजीव ने इटली के व्यापारी ओत्तावियो क्वात्रोक्की को बचाने की कोशिशों पर रोक नहीं लगाई और मामले की लीपापोती को लेकर किए जा रहे प्रयासों को लेकर मूकदर्शक बने रहे। वहीं, लिंडस्ट्रोम के खुलासे से बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन को भी राहत मिली है। एक वेबसाइट को दिए साक्षात्कार में लिंडस्ट्रोम ने यह भी कहा है कि अमिताभ का नाम इसमें भारतीय जांच अधिकारियों ने घसीटा।
इस घोटाले के 25 साल बाद इस व्यक्ति ने अपनी पहचान जाहिर की है। यह शख्स हैं स्वीडन के पूर्व पुलिस प्रमुख स्टेन लिंडस्ट्रोम। स्टेन ने एक भारतीय पत्रकार चित्रा सुब्रह्मण्यम के साथ बातचीत में यह खुलासा किया है। स्टेन के मुताबिक उन्होंने ही इस घूसकांड के 350 से ज्यादा डॉक्यूमेंट भारतीय पत्रकारों को दिए थे और इसी से बोफोर्स डील में दलाली का खुलासा हुआ था। उधर, मामले के 25 साल बाद लिंडस्ट्रोम के इस खुलासे पर विपक्ष को कांग्रेस के खिलाफ एक और मुद्दा मिल गया है। उन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व वाली केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार से इस मुद्दे पर संसद में स्पष्टीकरण मांगा है।
लिंडस्ट्रोम ने ही 1980 के दशक के आखिरी वर्षो में बोफोर्स तोप सौदे में दलाली का खुलासा किया था। तब 64 करोड़ रुपये के इस घोटाले में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी सहित कई अन्य पर बोफोर्स एबी कम्पनी से रिश्वत लेने के आरोप लगे थे। यह मुद्दा सुर्खियों में रहा था। इसे नवम्बर 1989 के आम चुनाव में कांग्रेस की हार का एक बड़ा कारण माना जाता है।
'द हूट' को दिए साक्षात्कार में लिंडस्ट्रोम ने कहा कि इस बात के साक्ष्य नहीं हैं कि 1,500 करोड़ रुपये के सौदे में राजीव ने रिश्वत ली। लेकिन वह मामले की लीपापोती चुपचाप देखते रहे और उन्होंने कुछ नहीं किया। बहुत से भारतीय संस्थानों का बचाव किया गया, निर्दोष लोगों को सजा दी गई, जबकि दोषियों को जाने दिया गया। लिंडस्ट्रोम ने कहा कि क्वात्रोक्की के खिलाफ पुख्ता सबूत थे। फिर भी स्वीडन या स्विट्जरलैंड में किसी को उनसे पूछताछ की अनुमति नहीं दी गई। उन्होंने यह भी कहा कि मामले में अमिताभ का नाम स्वीडन पहुंचे भारतीय जांच अधिकारियों ने जबरन घसीटा। उनका दावा है कि जांचकर्ताओं ने पहले उनसे इस मामले में अमिताभ का नाम जोड़ने को कहा था। उनके इससे इंकार करने पर उन्होंने स्वीडन के समाचार पत्र 'दागेन्स नाइहीटर' के साथ यह उठाया। अमिताभ ने इस खुलासे पर खुशी जताई, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि इन वर्षों में वह जिस पीड़ा से गुजरे उसका अंदाजा कोई नहीं लगा सकता। अमिताभ ने लिखा, इस घटना ने बरसों तक मुझे बेहद पीड़ा दी।
उधर, विपक्ष इस खुलासे को लेकर हमलावर हो गया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने लिंडस्ट्रोम के खुलासों पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। स्वीडन के पुलिस प्रमुख स्टेन लिंदस्ट्रॉम की ओर से बोफोर्स के बारे में की गई ताजा टिप्पणियों से नया सियासी तूफान खड़ा हो गया है। भाजपा ने आरोप लगाया है कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने ओत्तावियो क्वात्रोची को बचाया था, जबकि कांग्रेस का कहना है कि विपक्ष ने इस मुद्दे पर देश को गुमराह किया है। भाजपा संसदीय दल ने फैसला किया है कि बोफोर्स दलाली मामले को संसद में उठाया जाएगा क्योंकि पुलिस प्रमुख की ओर से नया खुलासा हुआ है कि राजीव गांधी ने क्वात्रोची को बचाया था।
भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि दिवंगत राजीव गांधी की पूरी सरकार क्वात्रोक्की को बचाने में जुटी हुई थी। सरकार और गांधी परिवार से आखिर क्वात्रोक्की का क्या रिश्ता था, जो पूरी सरकार उसे बचाने में जुटी हुई थी, यह एक गंभीर मामला है। इससे सहमति जताते हुए भाकपा नेता डी. राजा ने कहा कि सरकार और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) इस खुलासे को नजरअंदाज नहीं कर सकते। उन्हें इस पर जवाब देना होगा कि क्वात्रोक्की को कैसे भारत से निकलने का सुरक्षित रास्ता दिया गया।
गौर हो कि राजीव गांधी सरकार ने 1986 में स्वीडन की बोफोर्स एबी कंपनी से 400 तोपों का 1437 करोड़ रुपये में सौदा किया था। सौदे के साल भर बाद ही 1987 में अंग्रेजी अखबार 'द हिंदू' की पत्रकार चित्रा सुब्रमण्यम ने खुलासा किया कि इस सौदे में दलाली का खेल हुआ और इस खेल का सूत्रधार हथियारों का दलाल ओत्तावियो क्वात्रोकी था।
First Published: Thursday, April 26, 2012, 11:51