Last Updated: Sunday, July 7, 2013, 21:13

पटना : रविवार को आतंकवादी हमले का शिकार बने बिहार के बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर का भगवान बुद्ध के जीवन से सीधा संबंध रहा है। बोधगया में जिस स्थान पर मंदिर का निर्माण हुआ, वहीं 2,550 वर्ष पूर्व बुद्ध को बोध (ज्ञान) प्राप्त हुआ था। वर्ष 2002 में यूनेस्को ने इस स्थल को विश्व विरासत घोषित किया।
महाबोधि मंदिर भारत में बचेखुचे प्रारंभिक ईंट ढांचों में से एक है। इन निर्माणों का बाद की शताब्दियों में भवन निर्माण कला के विकास पर गहरा असर रहा। यूनेस्को ने इसे सबसे शुरुआती और गुप्तकाल के अंतिम चरण में प्रारंभिक ईंटों से बना अत्यंत प्रभावशाली ढांचा माना है।
यूनेस्को की वेबसाइट के मुताबिक, मंदिर परिसर का भगवान बुद्ध (566-486 ईसा पूर्व) के जीवन से सीधा संबंध रहा है क्योंकि यही वह जगह है जहां बोधिवृक्ष के नीचे उन्हें परमज्ञान की प्राप्ति हुई थी। यह स्थान उनके जीवन से संबद्ध घटनाओं और बाद की उपासना का विशेष अभिलेख मुहैया कराता है। खास तौर से इस स्थल की यात्रा ईसा पूर्व 260 के आसपास सम्राट अशोक ने की थी और उन्होंने ही बोधिवृक्ष के स्थल पर पहले मंदिर का निर्माण कराया था।
महाबोधि मंदिर परिसर बोध गया शहर के मध्य में स्थित है। इस पूरे स्थल में मुख्य मंदिर और इससे जुड़े इलाके में स्थित छह पवित्र स्थल हैं। सातवां स्थल दक्षिण में सटा हुआ कमल तालाब है। सबसे पवित्र स्थल विशाल बोधिवृक्ष है। माना जाता है कि यह वृक्ष उसी वृक्ष के वंश से है जिसके नीचे भगवान बुद्ध को बोध की प्राप्ति हुई थी। मुख्य मंदिर प्राचीन भारतीय वास्तुकला शैली में निर्मित है। (एजेंसी)
First Published: Sunday, July 7, 2013, 21:13