बीजेपी का जेठमलानी को कारण बताओ नोटिस, 10 दिन में मांगा जवाब

भाजपा ने राम जेठमलानी को जारी किया कारण बताओ नोटिस

भाजपा ने राम जेठमलानी को जारी किया कारण बताओ नोटिसनई दिल्ली : भाजपा ने आज अपने निलंबित राज्यसभा सदस्य राम जेठमलानी को कारण बताओ नोटिस जारी किया और उनसे इस बाबत जवाब तलब किया कि पार्टी विरोधी गतिविधियों और अनुशासनहीनता के लिए उन्हें क्यों न पार्टी से निकाल दिया जाए।

भाजपा महासचिव अनंत कुमार ने बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा, संसदीय बोर्ड ने राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी के इस फैसले की पुष्टि कर दी कि अनुशासनहीनता और पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए राम जेठमलानी को तत्काल निलंबित कर दिया जाए। नोटिस जारी कर उनसे यह पूछा गया है कि उन्हें क्यों न छह साल के लिए पार्टी से बाहर निकाल दिया जाए।

बहरहाल, कुमार ने कहा बैठक के दौरान पार्टी के लोकसभा सदस्य यशवंत सिन्हा और शत्रुघ्न सिन्हा की ओर से गडकरी और संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के नेताओं के खिलाफ दिए गए बयान पर चर्चा नहीं की गयी। दोनों नेताओं ने गडकरी के इस्तीफे की मांग की थी।

शत्रुघ्न सिन्हा ने भी गडकरी के इस्तीफे संबंधी जेठमलानी के बयान का समर्थन किया था। भाजपा में सर्वोच्च नीति-निर्माण संस्था संसदीय बोर्ड के पास ही अपने किसी सांसद या विधायक को पार्टी से निष्कासित करने का अधिकार है।

साल 2009 में पार्टी के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह को कारण बताओ नोटिस जारी किए बिना ही निषकासित कर दिया गया था जबकि वह उस वक्त लोकसभा सदस्य थे। जसवंत ने एक किताब लिखकर पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना की तारीफ की थी और विभाजन के लिए जवाहरलाल नेहरू एवं सरदार पटेल को जिम्मेदार ठहराया था।

यह सवाल किए जाने पर कि जेठमलानी की हरकतों पर नरम रवैया क्यों अख्तियार किया गया, इस पर अनंत कुमार ने सीधे कोई जवाब नहीं दिया और कहा कि भाजपा अध्यक्ष के पास किसी सदस्य को तत्काल निलंबित करने का अधिकार है । कुमार ने कहा, गडकरी ने राम जेठमलानी को तत्काल निलंबित कर दिया और इस मुद्दे पर चर्चा के लिए इसे संसदीय बोर्ड के हवाले कर दिया। चर्चा के बाद बोर्ड को लगा कि फैसला सही था और पार्टी विरोधी गतिविधियों एवं अनुशासनहीनता के लिए उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया जाना चाहिए।

सूत्रों ने कहा कि भाजपा के संविधान के मुताबिक कारण बताओ नोटिस जारी करना एक सही कदम है। हालांकि, इस बात का भी ख्याल रखा गया कि जेठमलानी साल 2002 के दंगों के मामले में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के मुकदमों के सिलसिले में अदालत में उनकी पैरवी करते हैं।

जेठमलानी ने गडकरी को एक पत्र लिखकर इस बात को स्पष्ट किया था कि उन्हें ऐसा क्यों लगा कि जेटली और स्वराज सीबीआई निदेशक के पद पर रंजीत सिन्हा की नियुक्ति के खिलाफ हैं। इस पत्र की पृष्ठभूमि में भी संसदीय बोर्ड की बैठक आज आयोजित की गयी।

सूत्रों ने कहा कि जेटली और स्वराज ने बोर्ड से कहा कि जेठमलानी की ओर उनके खिलाफ लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं । स्वराज ने कहा कि वह न तो नीरज कुमार को जानती हैं और न ही उनसे कभी मिली हैं जबकि जेटली ने कहा कि लगाए गए आरोप अप्रत्यक्ष हैं और इनमें स्पष्टता नहीं है।

इस बीच, जेठमलानी ने ताजा घटनाक्रम के बाबत कहा कि उन्हें अब तक कोई कारण बताओ नोटिस नहीं मिला है और संसदीय बोर्ड को उनके निलंबन का कोई कारण बताना चाहिए था। यह सवाल किए जाने पर कि क्या गडकरी के खिलाफ दिए गए बयान के कारण आपको निलंबित किया गया, इस पर जेठमलानी ने कहा, मुझे नहीं पता लेकिन मैं ऐसा संदेह कर सकता हूं। (एजेंसी)

First Published: Monday, November 26, 2012, 18:00

comments powered by Disqus