भारत करे श्रीलंका में चोगम आयोजन का बहिष्कार: करुणा

भारत करे श्रीलंका में चोगम आयोजन का बहिष्कार: करुणा

भारत करे श्रीलंका में चोगम आयोजन का बहिष्कार: करुणाचेन्नई : द्रमुक अध्यक्ष एम करुणानिधि ने नवम्बर में श्रीलंका में आयोजित होने जा रहे राष्ट्रमंडल सरकार प्रमुखों के सम्मेलन (चोगम) में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के शामिल नहीं होने के फैसले को महत्वपूर्ण करार देते हुए फिर से मांग की कि भारत को इस सम्मेलन का बहिष्कार करना चाहिए ।

करुणानिधि ने यहां एक बयान में कहा, ‘राष्ट्रमंडल महासंघ के गठन के समय से यह पहली बार है जब महारानी ने सम्मेलन का बहिष्कार किया है जो एक महत्वपूर्ण सूचना है ।’ चालीस साल में पहली बार महारानी एलिजाबेथ द्वितीय राष्ट्रमंडल सम्मेलन से दूर रहेंगी, उन्होंने द्विवार्षिक आयोजन में अपनी जगह अपने पुत्र प्रिंस चार्ल्स को भेजने का फैसला किया है ।

हालांकि, बकिंघम पैलेस ने कहा है कि सम्मेलन में महारानी के शामिल नहीं होने का फैसला श्रीलंका की राजनीतिक स्थिति से नहीं जुड़ा है ।

उन्होंने कहा कि इस मांग को लेकर कई आंदोलन हो रहे हैं कि चोगम का अयोजन श्रीलंका में नहीं किया जाए, जबकि श्रीलंका में इसके आयोजन के प्रबंध जारी हैं ।

करुणानिधि ने कहा कि क्योंकि श्रीलंका सरकार कथित ‘युद्ध अपराध’’ की आरोपी है, ऐसे में यह अस्वीकार्य है कि चोगम का आयोजन वहां हो । इस बारे में कई मजबूत मत हैं कि यदि यह निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार हुआ, श्रीलंकाई राष्ट्रपति महिन्दा राजपक्षे दो साल तक राष्ट्रमंडल प्रमुख रहेंगे और युद्ध अपराधों के लिए ‘‘उनके खिलाफ जांच में समस्याएं पैदा हो सकती हैं ।’

उन्होंने कहा कि यदि ऐसे में भारत मित्र देश के रूप में इसमें शामिल होता है तो यह तमिलों के खिलाफ ‘नरसंहार को समर्थन देने के बराबर होगा ।’ करुणानिधि ने कहा, ‘तमिल लोगों और विश्व के अन्य लोगों के आग्रह को मानते हुए भारत को घोषणा करनी चाहिए कि वह सम्मेलन में शामिल नहीं होगा और साथ ही सदस्य देशों से श्रीलंका में सम्मेलन का आयोजन नहीं होने देने के लिए समर्थन मांगना चाहिए ।’ उन्होंने कहा कि भारत को तमिल लोगों की भावनाओं को समझना चाहिए और उसी के अनुरूप रणनीति अपनानी चाहिए । (एजेंसी)

First Published: Friday, May 10, 2013, 15:20

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