भारत की दक्षिणी सीमा पर भी ड्रैगन को सुखोई की चुनौती

भारत की दक्षिणी सीमा पर भी ड्रैगन को सुखोई की चुनौती

भारत की दक्षिणी सीमा पर भी ड्रैगन को सुखोई की चुनौतीज़ी मीडिया ब्यूरो
नई दिल्ली : लद्दाख क्षेत्र में चीनी सेना की पिछले महीने हुई घुसपैठ ने भारतीय रक्षा नेतृत्व को एक बार फिर से ड्रैगन के खतरे को लेकर सतर्क कर दिया है। ड्रैगन के इस खतरे से निपटने के लिए ही भारत ने तमिलनाडु में सुखोई की तैनाती की जमीन तैयार कर ली है।

दक्षिण भारत में सुखोई का यह अड्डा तमिलनाडु के मंदिर नगर तंजावुर में स्थापित किया गया है और यहां तैनात होने वाले जांबाज सुखोई विमान पूरे हिंद महासागर के आकाश में गर्जना करेंगे। तंजावुर के इस आधुनिक एयरबेस का उदघाटन रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी इस महीने की 27 तारीख को करेंगे और इसके साथ ही नई हवाई पर पट्टी से सुखाई विमान शुभारंभ उड़ान भी भरेगी।

वायु सेना सूत्रों की मानें तो तंजावुर का यह एयरबेस सुखोई विमानों की उड़ानों के लिए तैयार हो गया है और वहां से हर तरह के विमान उड़ान भर सकेंगे लेकिन पूरा हवाई अड्डा चालू करने और विमानों की स्थाई तैनाती में समय लग सकता है। सूत्रों ने कहा कि विमान की स्थाई तैनाती के लिए जरूरी सुविधाएं स्थापित करने का काम तेजी से किया जाएगा और हैंगर, रखरखाव सुविधा एवं अन्य सहायक सेवाएं स्थापित होने के बाद 2015 तक इस हवाई अड्डे पर सुखोई की तैनाती हो जाएगी।

चीन से खतरे को देखते हुए पूर्व में तेजपुर और छाबुआ में सुखोई एयरबेस पहले ही स्थापित किए जा चुके हैं और जल्दी ही कलैकुंडा और हाशिमारा में इन ताकतवर विमानों को तैनात करने की भारत की योजना है। इजरायली टोही पैड से लैस ये लड़ाकू विमान चीनी सीमा के करीब 300 किलोमीटर भीतर तक झांकने की क्षमता रखते हैं। भारत ने रूस से 230 सुखोई विमानों का सौदा किया हुआ है, जिनमें से 140 विमान लाइसेंस के तहत हिंदुस्तान एयरोनोटिक्स में बनाए जाने हैं।

पाकिस्तान के मोर्चे पर सुखोई के नए अड्डे भुज और सिरसा में बनाए जाएंगे, जबकि भटिंडा, हलवारा और जोधपुर में सुखोई की पहले ही तैनाती हो चुकी है। वायु सेना के अग्रिम पंक्ति के ये विमान बरेली, तेजपुर, हलवारा, पुणे और जोधपुर में तैनात हैं। इन विमानों से परमाणु बम भी गिराए जा सकते हैं और सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस भी इनकी तली में फिट करने की व्यवस्था की जा रही है।

First Published: Friday, May 17, 2013, 23:41

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